

नेताजी का चुनाव प्रचार
हुआ है प्रचार खत्म,
उतरे हैं वेष छद्म |
नेताओं की नौटंकियाँ,
घर में समाई हैं||
स्वागत में फूल सजे,
द्वारों पे तोरण बँधे |
सजनी सजा के थाल,
द्वारे पे ही आई है ||
हुआ ये कमाल कैसे?
न हुआ धमाल कैसे ?
लगता है सजनी ने,
लाटरी लगाई है ||
सजनी के पास बैठे,
पूछा नेताजी ने ऐसे,
रुपयों की ढेरी गोरी,
कहाँ से तू लाई है ||
बीबी बोली रोज-रोज
वादे तुम कर रहे|
आज पूरा करने की,
बारी अब आई है ||
बोले नेताजी कहाँ से,
हमने किये थे वादे!
अभी- अभी हमने तो,
ड्यूटी ही निभाई है||
बीबी बोली रोज आते ,
यूँ ही गड्डियांँ थमाते।
कभी बहना भी कह ,
गर्दन झुकाई है ।।
काला चश्मा नैन पर,
नेताजी का रूप धर ।
माताजी समझ कभी,
पैर भी छुआई है।।
नन नन नेता कहे,
बीबी इठला के कहे ।
अब सच मान जाओ ,
फोटो भी खिंचाई है।।
सुनते ही लाले पड़े,
नेताजी के होश उड़े|
सारी की सारी नौटंकी,
हुई धराशाई है||
– सरोज लता सोनी
भोपाल

देवेन्द्र सोनी नर्मदांचल के वरिष्ठ पत्रकार तथा ‘ युवा प्रवर्तक ‘ के प्रधान संपादक हैं। साथ ही साहित्यिक पत्रिका ‘ मानसरोवर ‘ एवं ‘ स्वर्ण विहार ‘ के प्रधान संपादक के रूप में भी उनकी अपनी अलग पहचान है।
