

तो विश्वकप में विजय हुई होती
उम्मीद का दामन थाम कर ही
इंसान जीवन में आगे बढ़ता है,
कोई जीत गया कोई हार गया,
यह उतना महत्व नहीं रखता है।
हार जीत हर खेल में होती ही है,
व विजेता या उप विजेता होता है,
इसका यह मतलब नहीं होता है,
खिलाड़ी जानकर नहीं खेला है।
भारत दस में से दस मैच जीता था,
तब कमी की भी प्रशंसा होती थी,
अब जिसने ज़्यादा अच्छा खेला है,
मैच वही जीतकर विजेता बना है।
सारे भारत को विजय कामना थी,
मैंने भी शुभ कामना व्यक्त की थी,
शुभकामना और भाग्य साथ होती,
तो विश्वकप में विजय हुई होती।
आदित्य वैसे तो मीडिया वीआईपी
सिंड्रोम की बात भी करने लगा है,
खिलाड़ियों के मनोवैज्ञानिक दबाव
में आने की तमाम खबरें फैला रहा है।
मैं बस मानस का प्रसंग यहाँ दूँगा,
कर्म के संग भाग्य की बात कहूँगा,
सुनहु भरत भावी प्रबल,
बिलखि कहेऊ मुनिनाथ।
हानि लाभ जीवन मरण,
यश अपयश विधि हाथ॥
कर्नल आदि शंकर मिश्र, आदित्य
लखनऊ

देवेन्द्र सोनी नर्मदांचल के वरिष्ठ पत्रकार तथा ‘ युवा प्रवर्तक ‘ के प्रधान संपादक हैं। साथ ही साहित्यिक पत्रिका ‘ मानसरोवर ‘ एवं ‘ स्वर्ण विहार ‘ के प्रधान संपादक के रूप में भी उनकी अपनी अलग पहचान है।
