

रिश्वत
मैंने रिश्वत देकर बोला खुशी से
चलोगी मेरे घर पर।
सब कर रहे हैं इंतजार
तुम्हारे स्वागत को तैयार
बोली खुशी,, मेरे दफ्तर में
नहीं चलते रुपये पैसे।
मैं नहीं आती किसी के घर ऐसे वैसे
मैंने पूछा,,तो फिर आती हो कैसे?
खुशी चहककर बोली,,मुझे कुछ ना दो
दे दो भूखे को रोटी।
बुझे मन में जलाओ
आशा के दीप।
जो है रुठा उसे मनाओ,बुला लो
अपने समीप।
अंधेरे मन में भरो उजाला।
बुझा दो प्यासे की प्यास
मैं खुद ब खुद चली आऊंगी
तुम्हारे घर,तुम्हारे द्वार
तुम्हारे पास ,,तुम्हारे पास।
– अमृता राजेन्द्र प्रसाद
धरमपुरा जगदलपुर
जिला बस्तर छत्तीसगढ़

देवेन्द्र सोनी नर्मदांचल के वरिष्ठ पत्रकार तथा ‘ युवा प्रवर्तक ‘ के प्रधान संपादक हैं। साथ ही साहित्यिक पत्रिका ‘ मानसरोवर ‘ एवं ‘ स्वर्ण विहार ‘ के प्रधान संपादक के रूप में भी उनकी अपनी अलग पहचान है।
