

ग़ज़ल
****
न गैरों को नहीं शागिर्द को नीचे गिराना मत|
समझ अदना अज़नबी को कभी यूँ आजमाना मत|
*
अदीबों में शुमारी है मगर ये बात है बेहतर,
मगर दिल में ग़ुमां रखकर,किसी को फन दिखाना मत|
*
मुहब्बत ही बढ़े जिससे वही मुद्दे उठाएं भी,
दिलों को तोड़ दे ऐसे कभी मुद्दे उठाना मत|
*
करे कोई अदब की बात है लेकिन मगर अच्छी,
कभी यूँ बेअदब हो के किसी का दिल जलाना मत|
*
किसी के वास्ते दिल में अगर शिक़वा ग़िला भी हो,
उसे है भूलना यूँ दुश्मनी भी मत निभाना तुम|
*
कई बूढ़े बडे़ जो हैं मगर वो इस जमाने में,
दुआ लेना मगर ध्रुव इल्म भी उनको सिखाना मत|
****
प्रदीप ध्रुव भोपाली,भोपाल,म.प्र.
14/10/2023
****

देवेन्द्र सोनी नर्मदांचल के वरिष्ठ पत्रकार तथा ‘ युवा प्रवर्तक ‘ के प्रधान संपादक हैं। साथ ही साहित्यिक पत्रिका ‘ मानसरोवर ‘ एवं ‘ स्वर्ण विहार ‘ के प्रधान संपादक के रूप में भी उनकी अपनी अलग पहचान है।
