काव्य : ग़ज़ल – प्रदीप ध्रुव भोपाली,भोपाल

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ग़ज़ल
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न गैरों को नहीं शागिर्द को नीचे गिराना मत|
समझ अदना अज़नबी को कभी यूँ आजमाना मत|
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अदीबों में शुमारी है मगर ये बात है बेहतर,
मगर दिल में ग़ुमां रखकर,किसी को फन दिखाना मत|
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मुहब्बत ही बढ़े जिससे वही मुद्दे उठाएं भी,
दिलों को तोड़ दे ऐसे कभी मुद्दे उठाना मत|
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करे कोई अदब की बात है लेकिन मगर अच्छी,
कभी यूँ बेअदब हो के किसी का दिल जलाना मत|
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किसी के वास्ते दिल में अगर शिक़वा ग़िला भी हो,
उसे है भूलना यूँ दुश्मनी भी मत निभाना तुम|
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कई बूढ़े बडे़ जो हैं मगर वो इस जमाने में,
दुआ लेना मगर ध्रुव इल्म भी उनको सिखाना मत|
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प्रदीप ध्रुव भोपाली,भोपाल,म.प्र.
14/10/2023
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