बुंदेलखंड का पर्यटन स्थल विंध्यवासिनी माता – डॉ प्रीति सुरेंद्र सिंह परमार टीकमगढ़

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बुंदेलखंड का पर्यटन स्थल विंध्यवासिनी माता

पर्यटन की दृष्टि से अपार संभावनाएं हैं बुंदेलखंड के क्षेत्र में तो आवागमन के साधन भी बहुत हो गए हैं इसी को मद्दे नजर रखते हुए दार्शनिक व पर्यटन स्थल मां विंध्यवासिनी का जिक्र किया जा रहा है यहां माता की दो मूर्तियां हैं एक काले पत्थर से बनी हुई एक सफेद से काले पत्थर की बनी हुई मूर्ति प्राचीन मूर्ति है मैं डॉक्टर प्रीति सिंह परमार अवगत कराना चाहती हूं सभी को बुंदेलखंड के इन पर्यटन स्थलों के बारे में.
बुंदेलखंड का एक दार्शनिक और पर्यटन स्थल माता विंध्यवासिनी देवी ऊंचे पहाड़ पर स्थित है माता बिंदवासनी देवी, दुर्गा नगर गांव के पास में टीकमगढ़ और बल्देवगढ़ के बीच में टीकमगढ़ से 22 किलोमीटर दूर बुंदेलखंड के इस पवन पुनीत स्थल दर्शनीय स्थल जहां लोग अपनी-अपनी मुरादे लेकर आते हैं मनोकामना पूर्ण होने पर कोई कन्या भोज करता है तो कोई जवारे रखकर यहां विसर्जन करने आते हैं जय हो माता विंध्यवासिनी देवी यहां पर माता को जल चढ़ाया भी जाता है जो प्रातः काल में होता है दिन के 12:00 के करीब माता का श्रृंगार हो जाता है उसके बाद जल नहीं चढ़ाया जाता यहां लोग हवन पूजन कथा भी करवाते हैं नवरात्रि में यहां बड़ा मेला भरता है श्रद्धालु दूर-दूर गांव से बल्कि दूसरे राज्यों से भी यहां आते हैं कहा जाता है आल्हा ऊदल के समय बनाया गया था पहाड़ी पर विंध्यवासिनी माता का मंदिर यह बड़ा ही सुप्रसिद्ध प्राचीन मंदिर है इस प्राचीन मंदिर का विस्तार 2001 में किया गया मंदिर के ऊपरी तल पर तीन धर्मशालाएं और तीन तलघर धर्मशालाएं हैं मंदिर के पीछे की पहाड़ी पर शेर की गुफा है क्षेत्र में ऐसी मान्यता है कि जो भी भक्त मां विंध्यवासिनी मंदिर के दर्शन श्रद्धा भाव से करता है और मन्नत मांगता है माता रानी उसकी मुराद पूरी करती है यहां पर लगने वाला मेला चैत्र नवरात्रि की अष्टमी से लगता है जो की पूर्णिमा तक चलता है शारदीय नवरात्रि में दूर दराज से हजारों भक्त मां के दर्शन करने आते हैं और जल समर्पित करते हैं पहाड़ पर मंदिर की ओर जाने वाले दो तरफ से रास्ते हैं जिसमें पूर्व दिशा से लगभग 200 करीब सीढ़ियां चढ़कर और दक्षिण दिशा की तरफ से लगभग 225 सीढ़ियां चढ़कर माता के दर्शन करने पहुंचा जा सकता है टीकमगढ़ से 22 किलोमीटर दूर पड़ता है जबकि छतरपुर से 72 किलोमीटर के करीब है नजदीकी रेलवे स्टेशन सर कनपुर करीब 10 किलोमीटर के दूरी पर है टीकमगढ़ रेलवे स्टेशन से आगे यदि इसकी दूरी न देखी जाए तो 27 किलोमीटर है, नवरात्रि में जब यहां भजन कीर्तन होता है और लोग स्वयं गाते हुए महिलाएं मंजीरे ढोलक थाप के साथ में मंदिर में आते हैं तो सारा वातावरण भक्ति में हो जाता है यहां यहां से देखे तो दूर बल्देवगढ़ का किला दिखाई देता है चारों तरफ पेड़ ही पेड़ इन पेड़ों के बीच स्थित है मां विंध्यवासिनी का मंदिर आज के लिए इतना ही।

डॉ प्रीति सुरेंद्र सिंह परमार
टीकमगढ़

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