

मातारानी की आराधना
आह्वान करती हूं माता,
नौ रूपों में दर्शन दीजिए।
विराजिए मां मेरे अंगना,
जीवन मेरा संवारिए।।
प्रथम रूप मां शैलपुत्री है,
जीवन तिमिर से तार दें।
प्रथम अर्चन मैं करूं तुम्हारा,
मुझे भव सागर से तारिए।।
दूजा नाम मां ब्रह्मचारिणी,
आह्वान तेरा मंगलकारी।
संकट हर संकट निवारिणी,
कष्टों को मेरे निवारिए।।
सिंह पर विराजी मां चंद्रघंटा,
सकल विश्व का करें कल्याण।
शौर्य की प्रतीक हैं माता,
मुझमें साहस भर दीजिए।।
अष्टभुजाधारी शेर की सवारी।
मां कूष्मांडा की बात है निराली।
आदिशक्ति का रूप धरे मां,
वरदान भक्ति का दीजिए।।
पंचम स्वरूप मातारानी का,
स्कंदमाता है जिनका नाम।
वंदना करूं निष्काम भाव से,
आशीष अपना दीजिए।।
चतुर्भुजाधारी महिषासुर संहारिणी,
नाम जपते ऋषि मुनि जय मां कात्यायनी।
जीवन सफल करिए मां मेरा,
मेरे काज संवारिये।।
शुभकारी दुखहारी सप्तम रूप मां कालरात्रि,
बिखरे केश तीन नेत्र शंख खड्ग धारी।
मृत्यु का भय दूर करो मां,
रोग शोक निवारिये।।
श्वेत वस्त्र श्वेत वर्ण श्वेत है सवारी,
सबका करती कल्याण अष्टम रूप महागौरी।
शरणागत हूं तेरी माता,
दैन्य दुख निवारिये।।
नवम रूप मां सिद्धिदात्री,
अष्ट सिद्धि को देने वाली।
सदा तेरा गुणगान करें हम,
पूजा मेरी स्वीकारिए।।
विराजिए मां मेरे अंगना,
जीवन मेरा संवारिये।
दीप्ति खरे
मंडला(मध्यप्रदेश)

देवेन्द्र सोनी नर्मदांचल के वरिष्ठ पत्रकार तथा ‘ युवा प्रवर्तक ‘ के प्रधान संपादक हैं। साथ ही साहित्यिक पत्रिका ‘ मानसरोवर ‘ एवं ‘ स्वर्ण विहार ‘ के प्रधान संपादक के रूप में भी उनकी अपनी अलग पहचान है।
