काव्य : मां चंद्रघंटा – सौ, भावना मोहन विधानी अमरावती महाराष्ट्र

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मां चंद्रघंटा

नवरात्रि का तीसरा दिन मां चंद्रघंटा को समर्पित,
फूल अक्षत कुमकुम सिंदूर भक्त मां को करते हैं अर्पित।
केसर दूध से बनी मिठाईयां और खीर का भोग लगाते हैं,
सफेद कमल लाल गुड़हल और गुलाब की माला चढ़ाते हैं।
मां चंद्रघंटा की पूजा से जीवन में
सौम्यता विनम्रता आती है,
जो करते हैं मां की दिल से पूजा
मां उनकी पीड़ा हर जाती है।
बाघ पर सवार होकर मां चंद्रघंटा आती है,
स्वर्ण सा चमकीला रूप देखकर भक्तों के मन में खुशियां छाती हैं।
मां के मस्तक पर अर्धचंद्राकार घंटा सुशोभित होता है,
इनकी घंटे की भयानक ध्वनि से
दैत्य विचलित होता हैं।
दुष्टों का दमन और विनाश करने के लिए मां तैयार रहती है,
हर भक्त के दिल में मां के लिए प्रेम की गंगा बहती है।

सौ, भावना मोहन विधानी
अमरावती महाराष्ट्र

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