

तुलसी साहित्य अकादमी ने किया सृजन श्रंखला 37 का आयोजन
भोपाल।
तुलसी साहित्य अकादमी द्वारा आयोजित सृजन श्रंखला 37 के अंतर्गत डा.शिवकुमार दीवान के लघुकथा संग्रह “उम्मीद की किरण” एवं श्री अमित दीवान के आलेख संग्रह “अभिव्यक्ति” का लोकार्पण एवं विमर्श किया गया तथा दूसरे सत्र में 25 रचनाकारों द्वारा धार्मिक रचनाओं पर आधारित काव्य पाठ किया गया।
कार्यक्रम की अध्यक्षता वरिष्ठ साहित्यकार शिक्षाविद् ,पूर्व संयुक्त संचालक शिक्षा विभाग म.प्र. शासन डा.राजेश तिवारी जी ने की तथा मुख्यअतिथि वरिष्ठ शिक्षाविद् इग्नू के पूर्व निदेशक डा.कृपा शंकर तिवारी जी तथा विशेष अतिथि यायावर साहित्यकार समीक्षक एवं चिंतक श्री सुरेश पटवा जी रहे।
मंचस्थ अतिथियों द्वारा माता सरस्वती के समक्ष दीप प्रज्ज्वलित कर पूजन अर्चन कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया।
श्रीमती आशा श्रीवास्तव ने माँ सरस्वती की वंदना का पाठ किया।
मंचस्थ अतिथियों का पुष्पहारों से स्वागत करने के बाद डा.शिवकुमार दीवान के लघुकथा संग्रह उम्मीद की किरण एवं श्री अमित दीवान जी के आलेख संग्रह अभिव्यक्ति कि मंचस्थ अतिथियों द्वारा लोकार्पण किया गया।
डा.मोहन तिवारी आनंद राष्ट्रीय अध्यक्ष तुलसी साहित्य अकादमी ने
स्वागत उद्बोधन दिया तथा श्री कैलाश श्रीवास्तव आदमी प्रधान संपादक निर्दलीय समाचार पत्र समूह ने बीज वक्तव्य में अपने विचार व्यक्त किये।
डा.शिवकुमार दीवान जी ने “उम्मीद की किरण” की तीन लघुकथाओं का पाठ किया।लघुकथा “इलाज” में एक गरीब आदमी यकायक बेहोश होकर गिर जाता है लोग डॉक्टर को बुलाते हैं डाक्टर के इंजेक्शन और गोलियों से उसे होश नहीं आता है तभी एक भिखारी उसे एक रोटी खिलाकर कटोरे से पानी पिला देता है। वह उठ खड़ा होता है और चल देता है।
डाक्टर अवाक था और भीड़ भिखारी के इस इलाज की वाह-वाह कर रहे थे। इस लघुकथा पर डा.दीवान जी को बड़ी सरहनाएँ मिली।
श्री अमित कुमार दीवान ने “अभिव्यक्ति” के एक आलेख “भ्रष्टाचार का खात्मा” का पाठ किया जिसमें-“आज भ्रष्टाचार को मिटाने की बात पूरे देश में की जा रही है लेकिन भ्रष्टाचार की उत्पत्ति के कारण जानने का प्रयास ही नहीं कर रहे हैं। स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद हमारे देश में जो व्यवस्था लागू हुई उसमें कहीं भी किसी स्तर पर जबाबदेही को तय ही नहीं किया गया है।”
उपस्थित साहित्यकारों ने बहुत सराहयना की।
वरिष्ठ साहित्यकार एवं सुविख्यात समीक्षक श्री गोकुल सोनी ने डा. दीवान के लघुकथा संग्रह “उम्मीद की किरण” की समीक्षा प्रस्तुत की उन्होंने उम्मीद की किरण की कई लघुकथाओं का उल्लेख कर विवेचनात्मक टिप्पणी की । लघुकथा मित्रता के शब्द विन्यास -“प्रेम और पीर गहरे मित्र हैं और दोनों की मित्रता मोहल्ले में मशहूर है।” के बारे कहा-डा. दीवान की लघुकथाओं में वाक्यों के ऐसे प्रयोग अद्वितीय हैं।
प्रबुद्ध साहित्यकार, विद्वान समीक्षक, चिन्तक श्री सुरेश पटवा ने डा.दीवान के लघुकथा संग्रह “उम्मीद की किरण” एवं श्री अमित दीवान के आलेख संग्रह अभिव्यक्ति के सम्बंध में विस्तार से विवेचनात्मक वक्तव्य दिया। उन्होंने अमित के कई आलेख पत्रों पर अपने सारगर्भित विचार व्यक्त किये। उनका कहना है आधुनिक काल में ऐसे गंभीर लेखन बहुत कम ही देखने में आ रहे हैं।
मंचस्थ अतिथियों में मुख्य अतिथि डा. कृपा शंकर तिवारी जी ने उम्मीद की किरण की लघुकथाओं पर अपने विचार करते हुए कहा कि उम्मीद की किरण की लघुकथाएँ एक परिपक्व मस्तिष्क में उत्पन्न गहन चिन्तन और विचारों का परिमार्जित प्रतिफल दिखाई देता है। मैं डा.दीवान जी को इन लघुकथाओं के सृजन की बधाई देता हूँ।
कार्यक्रम के अध्यक्ष डा.राजेश तिवारी जी ने
डा.दीवान के लघुकथा संग्रह की लघुकथाओं को व्यंग्य के बहुत नजदीक कहते हुए उनके शिल्प की प्रसंसा की। उन्होंने कहा डा.दीवान की लघुकथाओं की विषयवस्तु हमारे इर्दगिर्द वर्तमान की छायांकित अनुभूतियाँ हैं जिनके सृजन में उनके अनुभवों की अनुगूँज है। उन्होंने अमित दीवान के आलेखों के बारे में कहा-अमित की कलम समाज दशा और दिशा पर प्रहार करती हुई व्यवस्था को सजग करने का दायित्व निभाने के प्रहरी दिख रही है। उन्होंने कहा श्री अमित के लेखन में भविष्य की अपार उज्ज्वल संभावनाएं छिपी हैं जिन्हें सतत जारी रखने की आवश्यकता है।
इस प्रथम सत्र का संचालन डा.अशोक तिवारी अमन जी ने किया।
इस सत्र के बाद दूसरा सत्र धार्मिक रचनाओं पर केन्द्रित रहा जिसका संचालन
श्री चन्द्रभान सिंह चंदर ने किया। इस सत्र 25 कवियों ने अपनी रचनाओं का पाठ किया जिनमें छतरपुर से आये कवि अवनींद्र खरे ने -“जब जब मूंदीं पलकें मैं ने , तब तब प्रलय दिखा।
का पाठ किया।
अशोक धमेंनिया ने-
” आज रात में सपना देखा, तूने दर्शाया।
ऊपर से नीचे तक चारों ओर है तेरी माया।”
शिवांस सरल ने –
“पाप है दहेज लेना और अभिशाप है दहेज देना।।”
का पाठ किया।
.श्री विश्वनाथ शर्मा विमल ने-
” मौन तपस्या मौन साधना मौन बड़ा आभूषण।
मौन रहे से बड़ा लाभ है,दब जाते सब दूषण।।”
का पाठ किया।
पुरुषोत्तम तिवारी साहित्यार्थी ने-
” जैसा जिया ठीक है जीना मत अब सपने को।
बदल गया है समय,बदल लो भाई अपने को।।”
का पाठ किया।
चन्द्रभान सिंह चंदर ने-
“साधो मन पत्ता सा धो” रचना पढ़ी।
डा.शिव कुमार दीवान ने अपने चिरअंदाज में दोहों का पाठ किया-
“नवरात्रा में पड़ रहा,
गुड़ि पड़वा त्योहार।
सजे हुए हैं सब तरफ, देवी के दरबार।।
समीक्षक श्री गोकुल सोनी ने-
“पुतला जला निभा लेते हैं, परम्परा त्योहार की।
हम में शक्ति बची कहाँ अब रावण के प्रतिकार की।” रचना पढ़ी।
इटारसी से कार्यक्रम में आये श्री मदन तन्हाई ने-
“चार दिन है ये जिंदगी, राम भजले रे तू आदमी।”
रचना का पाठ किया।
इनके साथ डा. कर्नल गिरिजेश सक्सेना, कैलाश आदमी,वर्मा रामभरोसे, श्रीमती दुर्गा रानी श्रीवास्तव, श्रीमती विद्या श्रीवास्तव, जया आर्या, आशा श्रीवास्तव, कृष्ण देव चतुर्वेदी, बिहारी लाल सोनी अनुज, डा.राजेश तिवारी, डा.अशोक तिवारी अमन तथा डा.मोहन तिवारी आनंद आदि ने अपनी रचनाओं का पाठ किया।
अंत में तुलसी साहित्य अकादमी के राष्ट्रीय अध्यक्ष डा.मोहन तिवारी आनंद ने कार्यक्रम में पधारे सभी कवियों एवं साहित्यकारों का आभार व्यक्त किया और सधन्यवाद गोष्ठी सम्पन्न होने की घोषणा की।
डा.मोहन तिवारी आनंद
राष्ट्रीय अध्यक्ष
तुलसी साहित्य अकादमी मुख्यालय भोपाल-462042
मोबाइल-9827244327

देवेन्द्र सोनी नर्मदांचल के वरिष्ठ पत्रकार तथा ‘ युवा प्रवर्तक ‘ के प्रधान संपादक हैं। साथ ही साहित्यिक पत्रिका ‘ मानसरोवर ‘ एवं ‘ स्वर्ण विहार ‘ के प्रधान संपादक के रूप में भी उनकी अपनी अलग पहचान है।
