काव्य : हौसला – शिल्पी पचौरी जयपुर

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हौसला

एक कदम चल अकेला ,
फिर पीछे होगा पूरा काफिला ,
कौन कहता है प्यासा कुआं
के पास आये ,
अगर मजबूत है तेरा हौसला
तो कुआं खुद आकर तेरी
प्यास बुझाय,
हौसला में अपार शक्ति है ,
हौसले से चट्टान भी सरकती है ,
हाँ मित्रो हौसला है ये
जिसके दम पर खग उडान भरते है ,
आम जन भी खास बनते है,
अटल और कलाम जी जैसे
महारथियों का सब गुणगान करते है ,
हर दिन भारत जीत रहा
‘स्वर्ण पदक ‘
ये सब है खिलाडियों के
हौसले की ताकत …..

शिल्पी पचौरी
जयपुर

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