

इस नवरात्रि जरूर दर्शन करें मां हयहट्ट देवी के
मां दुर्गा की असीम कृपा और सिद्धि पाने के लिए जानिए संक्षिप्त पूजा विधि व्रत त्योहार और उने पसंदीदा प्रसाद
मां दुर्गा के अनेक रूपों में से एक रूप यह भी हम जिस पावन भूमि में जन्म लिए हैं यहाँ नित्य नए चमत्कार उजाग़र होते रहतें है।जो मां की अनुकंपा से होते हैं ।तो इसमें तनिक भी संदेह या चकित नहीं होना चाहिए कि अरे ऐसा कैसे हो सकता है ।मां की कृपा से सब संभव है और उन्हीं की कृपा से सब होता है ।मां की कृपा के बिना एक तिनका तक हिलता नहीं और ना ही कोई परिंदा पर मार सकता हैं..!
बिहार में स्थित दरभंगा जिला के बेनीपूर प्रखंड में एक नवादा गाँव हैं ।नवादा गाँव में एक बहुत पूराना, और प्रसिद्ध माँ दुर्गा का मंदिर हैं ।कहां जाता हैं यहां माँ स्वयं वास करती हैं आज तक यहां से कोई खाली नही गया ।जिसकी जैसी इच्छा होती हैं ।माँ उसे वैसी ही फल भी देती हैं ।
कहा जाता हैं बहुत समय पहले नवादा भगवती की प्रसिद्धी सुन कर एक दिन हावीडीह गाँव के कुछ लोग मंदिर आए और माँ की प्रतिमा उठा कर लेकर चलें गए ।और इसकी खबर गाँव वालों को बिल्कुल भी नही हुई ।अगली सुबह जब मंदिर का दवा्र खोला गया तो माँ का प्रतिमा मंदिर में ना पाकर पुजारी जी चकित हो गए और जोर -जोर से चिल्लाने लगें अरे गाँव वालों माँ हमें छोड़ कर चली गई ।ना जाने हम से क्या भुल हो गई ।जो माता नाराज होकर चली गई ।देखते ही देखते ये बात आग की तरह फैल गई पूरें इलाके में हर लोग मंदिर आकर देखने लगा, रोता बिलखता अपना सर दीवारों पे पिटता आखिर ऐसा अनर्थ कैसे हो गया ।माँ क्यों चली गई ।माता के जाने से गाँव वालों की स्थिति बहुत बुरी हो गई ।ना उनका अपनी कोई सुद्ध रही ना अपनों की हर एक नर -नारी बेचैन सा हो गया ।यहां तर की उन्होनें अन्न -जल का भी त्याग कर दिया ।कुछ दिन हुए गाँव वालों की स्थिति बिगड़ती ही जा रही थी ।तो गाँव के बड़े -बुढें ने कहां ऐसा कब तक चलेगा ।जब से माँ हम सब से रुठ कर गई हैं ।तब हमारे गांव की हालत बहुत खराब हो गई हैं ।हम कैसे रह सकते हैं अपने माँ के बिना ।हमें कुछ करना चाहिए ।क्यों ना हम अगल -बगल के गाँव में माँ को ढुंढें ।बस ये बात सुनते ही सारे नवयुवक आग की तरह फैल गए गाँव -गाँव में ।निराशा के सिवा कुछ हाथ नही लगा ।फिर अचानक एक जगह बहुत भीड़ उमड़़ी थी तो ये नव युवक दल भी धीरे -धीरे वही पहुँचें ।वहां जो इन्होनें देखा सभी लोग मां का भजन गा रहे थें ।झुम रहें थे ।इन लोगों ने कहा भाई ये प्रतिमा तो हयहट्ट देवी मां का हैं ।ये यहां कैसे?
इनके बिना नवादा धाम के लोगों की क्या दशा हो गई हैं ।
इन्हें शांति से इनके स्थान पर पहुँचा दो, नही तो ठीक नहीं होगा ।इतना सुनते ही वो गाँव वालें भड़क गए और मरने -मारने पे उतारू हो गए ।सारे लोग लाठिया निकाल लिए और वो संख्या में भी ज्यादा थे ।इधर नावादा धाम वाले दो -चार जने ही थें ।वो भी नव युवक फिर भी दोनों आपस में भीड़ गए ।तनीजा ये हुआ इन नव युवकों को चोट लग गई ।
उस गाँव के बड़े बूढ़े ने कहा इन्हें जाने दों, तुमलोग गलत कर रहे हो ।जैसे -तैसे ये लोग वहा से जान बचा कर भागें ।
जैसे ही ये अपने गाँव पहुँचें इन लोगों की दशा देख कर सब घबरा गए ।और पूछा ये सब कैसे हुआ?
तब इन लोगों ने सारा वृतांत कह सुनाया ।गाँव वाले बड़े गुस्सें में आ गए ।सब बोले चलो तो चलो उस हावीडीह गाँव वालों की इतनी हिम्मत हमारी मां की प्रतिमा चुरा कर ले गया ।रात बहुत हो चुकी थी ।कुछ लोगों ने कहा अभी रात हो चुकी हैं ।इस वक्त जाना ठीक नहीं होगा, हम कल सुबह चार बजे निकलेगें और अपनी माँ को वापस ले आयेंगे ।
सब ने हा कर दी! जब रात में सब सो रहे थे तो मां ने हर एक नवादा वासी के सपने में आई और बोली मेरे बच्चों तुम लोग लड़ाई झगड़े मत करो मैं यही हूं, मैं कही नही गई हूं ।मां अपने बच्चों को छोड़ कर भला कैसे जा सकती हैं ।तुम लोग शांत हो जाओ मुर्ती की स्थापना वहां हो चुकी हूँ ।और बार-बार वो नही हटाई जाती हैं ।इससे अनिष्ट होता हैं ।मेरी बात मानो तुम लोग वहां मत जाओ गाँव वालों ने कहां हम आपके बिना नही रह सकते मां ।मैं यही हूं पुत्र केवल मेरा शरीर वहां हैं ।मैं हमेशा इसी मंदिर में तुम सबके पास ही रहूंगी ।अब से तुम मेरी सिंहासन का पूजन करना, मैं इसी रहती हूं और पहलें की तरह ही मैं अपने सभी भक्तों की मनोकामना भी पूरी करूंगा ।सच मां ऐसा कह कर सब उनके चरणों से लग गया ।और मां अंतर्ध्यान हो गई।
जय माता दी ।
मेरी बड़ी इच्छा है कि पहली कड़ी में मैंने आप लोगों को माता रानी की अद्भुत कहानी सुनाई।यकीन मानिए यह कोई कहानी नहीं बल्कि हकीकत है। और अब मैं आगे की कहानी बताता हूं!
पहली कड़ी में मां भगवती की प्रतिमा का दर्शन आप लोगों ने किया था ।अब इस दूसरी कड़ी में मैं मां की मंदिर का दृश्य साझा करती हूँ ।
भक्तों को वरदान दे मां अंतर्ध्यान हो गई ।फिर धीरे-धीरे करके सभी लोग शांत हो गए और फिर से उसी प्रेम और भक्ति के साथ मां की पूजा ,आराधना करने लगे सब कुछ अच्छा चल रहा था गांव वाले और अगल-बगल के गांव वाले भी बहुत प्रसन्न थे दुख का कोई नामोनिशान नहीं था चारों तरफ खुशहाली ही खुशहाली छाई थी किसी की कोई भी ऐसी मनोकामना नहीं जिसे मां ने पूरी ना किया हो !मां शेरावाली की महिमा अपरंपार है ।गर्मी का महीना था ।जेठ की दुपहरी थी ।धू-धू करके लू चल रही थी लोग अपने घरों से बाहर तक नहीं निकलते थे ।ऐसे में एक दिन दोपहर के समय मंदिर बंद था ।सभी पुजारी अपने -अपने घर चले गए थे ।जेठ का महीना करी दुपहरी होने के कारण थोड़ी देर के लिए जगह बहुत शांत था, एकांत था ।अचानक से एक अघोरी मंदिर की तरफ धीरे-धीरे बढ़ रहा था ।अगर वह मंदिर पर चढ जाता तो मां का मंदिर अशुद्ध हो जाता, अपशगुन होता और फिर अनर्थ हो जाता । एक-एक कदम अघोरी मंदिर की तरफ बढ़ रहा था और मुस्कुरा रहा था। पता नहीं वो अघोरी अचानक कहां से आ धमका था । अघोरी को मंदिर पर चढ़ता हुआ देख और मंदिर के आसपास किसी को भी ना देख मां ने स्वयं ही शेर का रूप धारण कर गांव वाले को बुलाने निकल पड़ी। अचानक एक शेर मंदिर से निकला और गांव की तरफ भागा शेर की रफ्तार इतनी तेज थी कि शायद अघोरी उसे देख भी ना पाया ।हवा के झोंके की तरह वह शेर गांव पहुंच गया और जोर-जोर से दहाड़ने लगा ।पहले तो सभी लोग बहुत डर गए अचानक गांव में शेर कहां से आ गया पर शेर मे किसी को कुछ नहीं कहा सिर्फ दहाड़े जा रहा था इतने में एक एक वृद्ध व्यक्ति ने कहां हमारे गांव के अगल-बगल कोई जंगल नहीं है और अचानक शेर कहां से आ गया ।यह सोचने वाली बात है शायद यह हमें किसी अनहोनी से बचाना चाहता हों हम सब एक साथ बाहर निकलते हैं जैसे ही सब लोग बाहर आए शेर आगे -आगे मंदिर की तरफ भागने लगा और उसके पीछे लाठी लिए हुए गांव वाले भी भाग रहे थे। जा रहा था और भागे जा रहा था ।मंदिर से गांव बहुत ही नजदीक है ।तो गांव वाले जल्दी हीं मंदिर के फाटक तक पहुंच गए जैसे ही फाटक के पास पहुंचे उन्होंने देखा शेर अदृश्य हो गया और मंदिर के सीढ़ी पर कोई इंसान चढ़ रहा है ।सभी गांव वालों ने एक साथ आवाज लगाई कौन हो तुम कौन हो तुम? इस वक्त मंदिर में क्यों जा रहे हो ।इतना सुनते ही वह अघोरी अपना पैर पीछे कर लिया और डर से भागने की कोशिश करने लगा पर इतने सारे लोगों से बच पाना उसके लिए संभव नहीं था सभी लोगों ने चारों तरफ से अघोरी को घेर लिया और पूछा तुम कौन हो और इस वक्त मंदिर क्यों जा रहे थे? अभी हमारी माता रानी सो रही है। अघोरी कुछ बता नहीं रहा था सभी लोगों ने उसे बहुत धमकाया और कहा अगर तुम नहीं बताओगे तो हम तुम्हें जान से मार देंगे फिर वह बोला फिकी मुस्कान से मुस्कुराते हुए बोला मैं एक अघोरी हूँ और इस मंदिर को अशुद्ध करने के विचार से यहां आया हूं ।इतना सुनते हैं गांव वाले आग बबूला हो गए और लाठियों से उस अघोरी को पीटने लगे पीट -पीट कर अधमरा कर दिया और गांव के बाहर फेंक दिया गांव वालों ने कहा अगर हमारे गांव के या मंदिर के आसपास भी नजर आए तो हम तुम्हें उस दिन जिंदा नहीं छोड़ेगे और उसे अधमरी अवस्था में सड़क के किनारे फेंक दिया मंदिर से बहुत दूर ,दूसरे गांव में फिर सभी लोग मंदिर आए और चारों तरफ अच्छी तरह से देखभाल करके माता को दंडवत प्रणाम किया और मां की आरती की और कहां आज आपने हमारी एक बार फिर से लाज रख ली मां! आज तो आपने हमें साक्षात दर्शन दे दिया।फिर माता को प्रणाम किया और एक बैठक बुलाई कि आज के बाद मंदिर कभी सुना नहीं रहेगा यहां पर गांव का कोई ना कोई व्यक्ति हर वक्त उपस्थित रहेगा ।उस दिन से गांव का एक परिवार बारी-बारी करके मंदिर के प्रांगण में रहता है ।मां की कृपा से उस दिन से लेकर आज तक सब कुशल है अच्छा है उसके बाद से ऐसी कोई घटना दोबारा नहीं घटी! एक बार प्रेम से मां शेरावाली की जयकारा लगाते हैं
तो प्रेम से बोलिए जय माता दी।
नोट-मैं आपलोगों से विनती करती हूँ ।अगर कभी आप बिहार जाए तो माता रानी हयहट्ट देवी का दर्शन अवश्य करें! जय माता दी।
– किरण काजल
बेंगलुरु

देवेन्द्र सोनी नर्मदांचल के वरिष्ठ पत्रकार तथा ‘ युवा प्रवर्तक ‘ के प्रधान संपादक हैं। साथ ही साहित्यिक पत्रिका ‘ मानसरोवर ‘ एवं ‘ स्वर्ण विहार ‘ के प्रधान संपादक के रूप में भी उनकी अपनी अलग पहचान है।
