काव्य : पूर्वजों के प्रति – राजेश तिवारी मक्खन झांसी उ प्र

494

पूर्वजों के प्रति

पुरखों के पथ पग जाना है , न मन भव भय भटकाना है ।
सेवा मातु पिता गुरू करना , वचनों को हृदय में धरना है।
इन चरणों में सुख पाना है ।………………१

मातृ पिता पत्नी की पीढी , जलांजलि देना शुभ सीढ़ी ।..२
यह श्रद्धा से श्राद्ध सजाना है ।…………२

कुश तिल जौ चावल अर्पण कर , देव पितृ तीर्थ में जल भर ।
तुलसी दल पुष्प चढ़ाना है ।……………३

तर्पण और समर्पण करना , और सुखों से निज गृह भरना ।
यह पितृ लोक पहुंचाना है ।…………….४

वसु रुद्र आदित्य रुप यह , शीश नवा कर नमन नमन कह ।
पुरखों को सदा मनाना है।……………..५

राजेश तिवारी मक्खन
झांसी उ प्र

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here