काव्य : अम्मा की गोद – अभय चौरे हरदा मप्र

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अम्मा की गोद

जिसमे पालन पोषण पाया
जिसमे सारा स्वर्ग था समाया
ममता का सागर जिसमे पाया
वह थी केवल अम्मा की गोद ।।
जिसमे सारा जगा है जाया
जीवन का पहला ज्ञान है पाया
अम्बर जिसके आंचल मे समाया
वह है थी केवल अम्मा की गोद ।।
भले बुरे का जो ज्ञान है पाया
दो जहाँ का जिसमे स्नेह समाया
जग सारा सुख है हमने पाया
वहा थी केवल अम्मा की गोद।।
ना खाने की ना पीने की चिंता
अम्मा ने समय पर खिलाया पिलाया
जिसके आँचल मे जागे और सोए
वहा थी केवल अम्मा की गोद।।
हर चिंता से हमको दूर किया था
अनमोल प्यार भरपूर दिया था
गलत बात से था हमको बचाया
वह थी केबल अम्मा की गोद ।।

अभय चौरे
हरदा मप्र

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