काव्य : अदरक वाली तुम्हारी चाय – इं.भारत भूषण आर गांधी इटारसी

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अदरक वाली तुम्हारी चाय

याद तो आती है
उन हाथों की बनी
करीने से कूटे हुए
अदरक वाली चाय
पर अब मैं खुद ही
बनाया करता हूं
और भी बेहतर चाय
रब तेरा शुक्रिया
कि तूने हुनर दिया
पर मेरी बनी चाय
अब उसे नहीं नसीब
ये तूने बुरा किया
ये तूने बहुत बहुत
बहुत बुरा किया

इं.भारत भूषण आर गांधी
इटारसी

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