

न दैन्यं न पलायनम्
लिख लिख पुरा नया मैं सिक्खूं।
कुछ नया कहां से लिक्खूं?
लिख गये बहुत पूर्वज कभी,
पढ़ – पढ़कर उनको मैं सिक्खूं।
दुहराऊं नहीं इतिहास वह,
जिसे देख दु:खी मैं दिक्खूं।
साहस भर दे नूतन तन में,
इक आधार नया मैं रक्खूं।
नहीं छोड़कर समर शेष मैं,
छिपूं मौन कहीं औ न चिक्खूं।
न पलायन न दीनता नीयत,
डटकर लड़ूं रण, न मैं बिक्कूं।
लिख-लिख पुरा नया मैं सिक्खूं।I
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–डॉ.गणेश पोद्दार
रांची

देवेन्द्र सोनी नर्मदांचल के वरिष्ठ पत्रकार तथा ‘ युवा प्रवर्तक ‘ के प्रधान संपादक हैं। साथ ही साहित्यिक पत्रिका ‘ मानसरोवर ‘ एवं ‘ स्वर्ण विहार ‘ के प्रधान संपादक के रूप में भी उनकी अपनी अलग पहचान है।
