काव्य : न दैन्यं न पलायनम् – डॉ.गणेश पोद्दार रांची

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न दैन्यं न पलायनम्

लिख लिख पुरा नया मैं सिक्खूं।
कुछ नया कहां से लिक्खूं?

लिख गये बहुत पूर्वज कभी,
पढ़ – पढ़कर उनको मैं सिक्खूं।

दुहराऊं नहीं इतिहास वह,
जिसे देख दु:खी मैं दिक्खूं।

साहस भर दे नूतन तन में,
इक आधार नया मैं रक्खूं।

नहीं छोड़कर समर शेष मैं,
छिपूं मौन कहीं औ न चिक्खूं।

न पलायन न दीनता नीयत,
डटकर लड़ूं रण, न मैं बिक्कूं।
लिख-लिख पुरा नया मैं सिक्खूं।I
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डॉ.गणेश पोद्दार
रांची

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