

कहानी
जीत
उसका नाम पूजा थाl, दुबली पतली देह् ,सांवली सी सूरतl साथ में दो बच्चियों के लिए एक-चार साल की होगी l एक डेढ़ साल कीl कचहरी के बाहर ठंड में बैठी थीl इंतजार में जब वकील साहिबा आएंगी तब बेचारी की फाइल पर उसके साइन करवाएंगी l lवकील साहिबा हर पेशी पर बुलाकर उसे खड़ा कर लेटी थी l बड़े जतन से पूजा लिख देती थीl “*पूजा’* बड़े बड़े अक्षरों में।
उस दिन जज साहिबा , किसी काम से, बाहर आई तो देखा बच्चे भूखे हैंl चपरासी को 100 का नोट दिया इन बच्चों को कुछ खिला देनाl चपरासी दौड़कर बिस्किट समोसा, चाय बगैरा ले आयाl उसने सब बच्चों को दे दियाl बच्चे जल्दी-जल्दी खाने लगेl
धीरे-धीरे उसका केस भी बढ़ता चला जा रहा थाl जिस दिन पूजा की साक्ष्य थी l वकील साहिबा ₹500 की जिद कर रही थी, उसके पास शायद जाने को भी पैसे नहीं थे कोर्ट में आई और बाबू से कहने लगी भैया हमारे पास , इतने पैसे तो है नहीं हम ₹500 वकील मैडम को कहां से देंl वकील भी महिला थी पर रूपयो के मामले में उससे बहस करें चली जा रही थीl कोर्ट में किसी को सलाह देने की अनुमति नहीं होती तो बेचारा चुपचाप बाबू बैठा रहा पूजा की मुट्ठी में २००रुपए थेl , तब तक वकील साहिबा रूठ कर चली गई थीl,
l लेकिन कहते हैं , *जिसका कोई नहीं उसका तो ईश्वर होता है l* एक वकील जो कम पैसे में भी काम कर देते थे l उन्होंने उसका साक्ष्य बनवा दिया l
थोड़ी देर में ही शपथ पत्र बन चुका थाl आकर उसने दे दियाl पूजा ज्यादा पढ़ी-लिखी नहीं थी शायद पांचवी पास थी पर वह अपने हक के लिए लड़ना चाहती थीl दो बच्चियों के कारण उसने नसबंदी ऑपरेशन कराया था वह भी फेल हो गया थाl, बेचारी अस्पताल के चक्कर ही लगाती रह गईl
उसका केस लिमिटेशन के बाहर हो रहा था lलेकिन उसकी भागा दौड़ी अस्पताल वाले सामूहिक केंद्र में जाने को कहते थेl सामूहिक केंद्र वाले अस्पताल में जाने को कहते थे मगर उसके कागज कोई भी लेने को तैयार नहीं था l ऐसे करते करते समय सीमा के बाहर होता जा रहा था lलेकिन उसने भी हार न मानी लिखित में रजिस्ट्री करा के सूचना भेज दी l अस्पताल वालों कोl एक एक कागज को संभाल के रखे हुए थीl अपने साक्ष्य में वह रो पड़ी, कहने लगी खाने को होता तो हम ऑपरेशन क्यों , करवाते वह भी फेल हो गया गर्भपात कराने के कारण उसका शरीर टूट चुका था lऔर अस्पताल वाले इस गलती को स्वीकार करना ही नहीं चाहते थेl
आज डेड साल बाद वह केस जीत गई थी , उसके चेहरे की मुस्कुराहट बता रही थीl, *कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होतीl*
बहुत ही कम लोग होते हैं lजो अपने हक के लिए लड़ने का साहस रखते हैंl सारे दस्तावेजों के अवलोकन के पश्चात उसकी क्रियाशीलता सक्रियता ने उसके पक्ष में निर्णय करवा दिया था जज साहिबा को भी निर्णय करके खुशी हो रही थीl
– डॉ प्रीति सुरेंद्र सिंह परमार
जिला उपभोक्ता आयोग सदस्य
टीकमगढ़ मध्य प्रदेश

देवेन्द्र सोनी नर्मदांचल के वरिष्ठ पत्रकार तथा ‘ युवा प्रवर्तक ‘ के प्रधान संपादक हैं। साथ ही साहित्यिक पत्रिका ‘ मानसरोवर ‘ एवं ‘ स्वर्ण विहार ‘ के प्रधान संपादक के रूप में भी उनकी अपनी अलग पहचान है।
