

मोटापा वैश्विक खतरा:विश्व मोटापा दिवस -विद्यावाचस्पति डॉक्टर अरविन्द प्रेमचंद जैन भोपाल
आयुर्वेदानुसार ८ प्रकार के निंदनीय पुरुष माने जाते हैं जैसे –बहुत सुन्दर — बहुत कुरूप ,बहुत मोटा -बहुत दुबला .बहुत ऊँचा – अधिक ठिगना बहुत गोरा– बहुत काला
लोगों को सही वजन हासिल करने और उसे मेंटेन रखने को लेकर जागरूक बनाता है. शरीर में फैट बढ़ने की वजह से गंभीर स्वास्थ्य समस्याएं पैदा हो जाती हैं.
दुनियाभर में मोटापे की समस्या धीरे-धीरे बढ़ती जा रही है. विश्व मोटापा दिवस का खास मकसद उस जीवन शैली को प्रोत्साहित करना है, जिससे वजन बढ़ने की समस्या को कम कर बीमारियों से बचा जा सके. लोगों को अपना वजन संतुलित रखने और मोटापे से होने वाले खतरों के प्रति आगाह किया जाता रहा है.
हाल के दशकों में लोगों के खान-पान में काफी बदलाव आया है, जिसकी वजह से लोगों का शारीरिक संतुलन बिगड़ा है. वजन बढ़ने से कई समस्याएं शरीर के अंगों को प्रभावित करती है.
इस साल का विषय मोटापे पर दृष्टिकोण बदलने के मकसद के साथ दिया गया. इसमें गलत धारणाओं को सुधारने के साथ ही लोगों को वजन कम करने को लेकर निर्णय लेने के लिए प्रेरित करना है.
वर्ल्ड ओबेसिटी डे लोगों को सही वजन हासिल करने और उसे मेंटेन रखने को लेकर जागरूक बनाता है. यह दिन पहली बार 2015 में एक वार्षिक अभियान के रूप में व्यावहारिक कार्यों को प्रोत्साहित करने के लक्ष्य के साथ मनाया गया था. 2015 में वर्ल्ड ओबेसिटी फेडरेशन की पहल पर इस दिवस की शुरुआत हुई थी ताकि वैश्विक मोटापे के संकट से लोगों को बचाया जा सके.
इंसान के शरीर में जब फैट की मात्रा बढ़ती है तो अतिरिक्त वजन गेन होता है. इसे ही मोटापे के रूप में वर्णित किया जाता है. वसा बढ़ने की वजह से गंभीर स्वास्थ्य समस्याएं पैदा हो जाती हैं. विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक 25 या उससे ज्यादा का बॉडी मास इंडेक्स वजन बढ़ने का संकेत करती है. 30 या उससे अधिक बॉडी मास इंडेक्स वाले लोग मोटापे का शिकार माने जाते हैं.
इंसान मोटापे का शिकार तब होता है, जब कैलोरी लेने और उसके खर्च में असंतुलन होता है. हाल के दशकों में वैश्विक आहार में काफी बदलाव आया है. खान-पान का तरीका बदला है. अधिक फैट वाले खाद्य पदार्थों की खपत में इजाफा हुआ है. काम करने के तरीके में बदलाव आया है. ट्रांसपोर्ट की पहुंच काफी बढ़ी है. इससे लोगों की शारीरिक गतिविधियां कम हुई हैं. मोटापे की वजह से हर साल लाखों लोग मर रहे हैं. ये अक्सर देखा गया है कि अधिकांश अधिक वजन वाले या मोटे बच्चे विकासशील देशों में हैं.
मोटापे को लेकर समस्या और बढ़ने वाली है. रॉयटर्स की रिपोर्ट के मुताबिक वर्ल्ड ओबेसिटी फेडरेशन के 2023 एटलस ने आशंका जताई है कि अगले 12 सालों के अंदर दुनिया के 51 फीसदी या 4 बिलियन से अधिक लोग मोटापे का शिकार होंगे. रिपोर्ट में पाया गया कि बच्चों और कम आय वाले देशों में मोटापे की समस्या खास तौर से तेजी से बढ़ रही है. रिपोर्ट में कहा गया है कि 2035 तक आधी से अधिक दुनिया के लोग वजन बढ़ने या मोटापे से ग्रस्त होंगे.
मोटापे से जोखिम और बचने के उपाय
इंसान जब मोटापे का शिकार हो जाता है तो वो कई बीमारियों से घिर जाता है. इससे हार्ट अटैक का खतरा और डायबिटीज की समस्या बढ़ जाती है. डायबिटीज से अंधापन होने का भी खतरा है, साथ ही किडनी पर भी बुरा असर पड़ता है. मोटापे को लिवर, ब्रेस्ट, प्रोस्टेट, ओवेरियन, गॉल ब्लैडर, किडनी और कोलन जैसे कैंसर से भी जोड़कर देखा जाता है.
खान पान में संतुलन जरूरी है. अधिक फैटी भोजन से बचना चाहिए. डॉक्टर और एक्सपर्ट यह दावा करते रहे हैं कि संतुलित आहार लेने, शारीरिक गतिविधियों को बढ़ाने, नियमित व्यायाम करने से मोटापे के जोखिम को कम किया जा सकता है.
कई जोखिम कारक हैं जो मोटापे के विकास की संभावना को बढ़ा सकते हैं। यहाँ मोटापे के लिए कुछ सबसे आम जोखिम कारक हैं:
आयु : जैसे-जैसे लोगों की उम्र बढ़ती है, उनका चयापचय स्वाभाविक रूप से धीमा हो जाता है, जिससे स्वस्थ वजन बनाए रखना अधिक कठिन हो जाता है।
लिंग : पुरुषों की तुलना में महिलाओं में मोटापा विकसित होने की संभावना अधिक होती है, और ऐसा माना जाता है कि यह हार्मोनल कारकों और शरीर की संरचना में अंतर के संयोजन के कारण होता है।
नींद की कमी : पर्याप्त नींद न लेने या बहुत अधिक नींद लेने से भूख बढ़ाने वाले हार्मोन में परिवर्तन हो सकता है।
अधिक स्क्रीन टाइम : जैसे-जैसे काम, खरीदारी और सामाजिक जीवन ऑनलाइन होता जा रहा है, हम तेजी से अपने फोन और कंप्यूटर के सामने अधिक समय बिताते हैं। यह गतिहीन जीवन शैली की ओर जाता है जो मोटापे में योगदान देता है।
मनोवैज्ञानिक कारक : तनाव, चिंता, अवसाद और आघात का इतिहास जैसे मनोवैज्ञानिक कारक वजन बढ़ाने और मोटापे में योगदान कर सकते हैं।
दवाएं : कुछ दवाएं, जैसे कुछ एंटीडिप्रेसेंट और कॉर्टिकोस्टेरॉइड, वजन बढ़ाने और मोटापे में योगदान कर सकती हैं।
जीवनशैली में बदलाव के जरिए मोटापे को रोकने से पुरानी बीमारियों का खतरा कम होता है और समग्र स्वास्थ्य में सुधार होता है। जीवनशैली में कुछ बदलाव हैं:
नियमित व्यायाम : नियमित रूप से व्यायाम करना, जैसे तेज चलना, दौड़ना या तैरना, उचित वजन बनाए रखने में मदद कर सकता है।
उचित नींद : नींद की कमी हार्मोन को बाधित कर सकती है जो भूख को नियंत्रित करती है और अधिक खाने और मोटापे में योगदान देती है। पर्याप्त नींद लेने से मोटापे को रोकने में मदद मिल सकती है।
धूम्रपान और शराब से बचें : धूम्रपान और अत्यधिक शराब का सेवन मोटापे और अन्य स्वास्थ्य समस्याओं में योगदान कर सकता है, इसलिए धूम्रपान छोड़ने से कई स्वास्थ्य जोखिमों से बचने में मदद मिल सकती है।
स्क्रीन टाइम को सीमित करना : स्क्रीन के सामने बहुत अधिक समय बिताना, जैसे टीवी देखना या वीडियो गेम खेलना, निष्क्रियता के लिए जिम्मेदार होता है, जो अंततः मोटापे का कारण बनता है। दैनिक स्क्रीन समय को सीमित करने से गतिहीन जीवन शैली से बचा जा सकता है।
–विद्यावाचस्पति डॉक्टर अरविन्द प्रेमचंद जैन
संरक्षक शाकाहार परिषद् A2 /104 पेसिफिक ब्लू
नियर डी मार्ट, होशंगाबाद रोड
भोपाल 462026 मोबाइल ०९४२५००६७५३

देवेन्द्र सोनी नर्मदांचल के वरिष्ठ पत्रकार तथा ‘ युवा प्रवर्तक ‘ के प्रधान संपादक हैं। साथ ही साहित्यिक पत्रिका ‘ मानसरोवर ‘ एवं ‘ स्वर्ण विहार ‘ के प्रधान संपादक के रूप में भी उनकी अपनी अलग पहचान है।
