

झारखंड हिंदी साहित्य संस्कृति मंच ने मनायी आचार्य रामचंद्र शुक्ल की जयंती
रांची।
हिंदी साहित्य के व्यवस्थित इतिहास के प्रथम लेखक, महान साहित्यकार कवि आचार्य रामचंद्र शुक्ल की 139वीं जयंती के अवसर पर झारखंड हिंदी साहित्य संस्कृति मंच के तत्वावधान में मंच की कार्यक्रम समन्वयक ममता मनीष सिन्हा द्वारा आयोजित संगोष्ठी-सह-शब्द भावांजलि आयोजित की गयी । सुनीता कुमारी द्वारा माँ शारदे की वंदना से कार्यक्रम का शुभारंभ हुआ। झारखंड के प्रसिद्ध शायर मंच सदस्य हिमकर श्याम ने मुख्य अतिथि के रूप में सुशोभित डॉ जे.बी.पाण्डेय’ एवं सभी रचनाकारों का स्वागत किया। मंच संरक्षक विनय सरावगी के संरक्षण में मंच प्रसिद्धि पा रहा है। ओज कवयित्री ममता मनीष सिन्हा ने सफल मंच संचालन किया। मंच कोषाध्यक्ष श्रीकृष्णा विश्वकर्मा बादल,मंच मीडिया प्रभारी ऋतुराज वर्षा,वरिष्ठ कवयित्री डॉ मंजू सिन्हा,अनिता रश्मि,डॉ अंजेश कुमार,नरेश बांका,अर्पणा सिंह,डॉ एन.के.पाठक,विजय रंजन,डॉ गौतम कुमार,डॉ ओम प्रकाश,आचार्य गौरीशंकर उपाध्याय,रीना गुप्ता,अजीत कुमार प्रसाद आदि की कविताओं, हिमकर श्याम, कामेश्वर सिंह कामेश और राज रामगढ़ी की गजलों, बिनोद सिंह ‘गहरवार’ के मुक्तक, डॉ.रेणुबाला धार,डॉ.सुरिंदर कौर नीलम एवं डॉ.गीता सिन्हा गीतांजलि के गीतों एवं डॉ.शिवनन्दन सिन्हा के नवगीत तथा ममता मनीष सिन्हा की शहीद भगत सिंह पर ओजस्वी कविता की अजस्र धारा बही। मुख्य अतिथि ने अपने अभिभाषण में मूर्धमय साहित्यकार एवं समीक्षक आचार्य रामचन्द्र शुक्ल के व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर प्रकाश डाला और उनसे जुड़े संस्मरण सुनाए। समारोह की अध्यक्षता मंच के उपाध्यक्ष निरंजन प्रसाद श्रीवास्तव ने की। उन्होंने अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में आचार्य रामचन्द्र शुक्ल की सैद्धांतिक एवं व्यावहारिक समीक्षा-कृतियों, हिन्दी साहित्येतिहास लेखन की परंपरा और प्रसिद्ध अंग्रेजी समीक्षक टी एस इलियट और आचार्य रामचन्द्र शुक्ल के काव्य प्रतिमानों की चर्चा की और कविता पाठ से उद्बोधन किया। मंच सचिव विनोद सिंह गहरवार ने महाकवि आचार्य रामचंद्र शुक्ल को लेखन की सभी विधाओं का वरदहस्त बताया एवं इन्हे माँ सरस्वती के प्रिय पुत्र की संज्ञा दी। मंच सचिव विनोद सिंह गहरवार के धन्यवाद ज्ञापन के साथ कार्यक्रम का समापन हुआ।

देवेन्द्र सोनी नर्मदांचल के वरिष्ठ पत्रकार तथा ‘ युवा प्रवर्तक ‘ के प्रधान संपादक हैं। साथ ही साहित्यिक पत्रिका ‘ मानसरोवर ‘ एवं ‘ स्वर्ण विहार ‘ के प्रधान संपादक के रूप में भी उनकी अपनी अलग पहचान है।
