हिंदी की लोकप्रियता में मुंशी प्रेमचंद का अविस्मरणीय योगदान-उपमेंद्र

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हिंदी की लोकप्रियता में मुंशी प्रेमचंद का अविस्मरणीय योगदान-उपमेंद्र

बरेली।
साहित्यिक संस्था- कवि गोष्ठी आयोजन समिति के तत्वावधान में महान साहित्यकार मुंशी प्रेमचंद जी की 87वीं पुण्यतिथि पर स्थानीय पांचालपुरी में योगेश जौहरी के संयोजन में सरस काव्य गोष्ठी एवं विचार गोष्ठी का आयोजन किया गया जिसकी अध्यक्षता साहित्यकार रणधीर प्रसाद गौड़ धीर ने की। मुख्य अतिथि विशिष्ट बचपन पत्रिका की संपादक राज बाला धैर्य रहीं तो वहीं विशिष्ट अतिथि वरिष्ठ कवि डॉ. शिव शंकर यजुर्वेदी रहे। संचालन गीतकार उपमेंद्र सक्सेना एडवोकेट ने किया।
माँ शारदे एवं मुंशी प्रेमचंद जी के चित्र पर माल्यार्पण कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया गया माँ शारदे की वंदना बृजेंद्र तिवारी अकिंचन ने प्रस्तुत की।
कवि गोष्ठी में कवियों ने मुंशी प्रेमचंद को याद किया और अपनी रचनाओं के माध्यम से उनका गुणगान किया।
संस्था के सचिव उपमेंद्र सक्सेना एडवोकेट ने कहा कि हिंदी की लोकप्रियता में और उसके उत्थान में मुंशी प्रेमचंद जी का अविस्मरणीय योगदान है जिसको कभी भुलाया नहीं जा सकता। मंत्र, शतरंज के खिलाड़ी एवं गोदान जैसी उनकी अनेक हृदय स्पर्शी कहानियाँ एवं उपन्यास आज भी प्रासंगिक हैं। अपनी कालजयी रचनाओं के कारण प्रेमचंद जी युगों- युगों तक अमर रहेंगे।
कार्यक्रम में रामकुमार भारद्वाज अफरोज, डॉ राम शंकर शर्मा प्रेमी, जगदीश निमिष, बृजेंद्र तिवारी अकिंचन,प्रताप मौर्य मृदुल, एवं शंकर स्वरूप स्वरूप आदि ने काव्य पाठ किया। अंत में आभार कार्यक्रम संयोजक योगेश जौहरी ने सभी के प्रति प्रकट किया।

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