

कुछ कलियां खिलीं
मुझको खुशियां जो मिलीं।
वो सारी किस्तों में मिलीं।।
अश्कों के साए में थी।
मुस्कान छुपकर के पली।।
सुबह आई ज़िन्दगी में,
सांझ होकर के ढली।
रात ने सिसकी भरी, फिर!
अलविदा कह कर चली।
शेष खुशियां जो भी थीं,
अवशेष बन कर वे चलीं।
लम्बी विरानी के बाद,
महज़ कुछ कलियां खिलीं।
आर्यावर्ती सरोज “आर्या”
लखनऊ

देवेन्द्र सोनी नर्मदांचल के वरिष्ठ पत्रकार तथा ‘ युवा प्रवर्तक ‘ के प्रधान संपादक हैं। साथ ही साहित्यिक पत्रिका ‘ मानसरोवर ‘ एवं ‘ स्वर्ण विहार ‘ के प्रधान संपादक के रूप में भी उनकी अपनी अलग पहचान है।
