काव्य : वो पल नही गया – अनिल साहू प्रतापपुर जिला सूरजपुर छ.ग

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वो पल नही गया

कल वो गुजरा नही अभी,अभी कल नही गया।
इम्तिहान है मेरा जिस पल ,अभी वो पल नही गया।
जुगनू से कह दो हमे उजाले की फिक्र नहीं,
अभी शमा जल रहा है,अभी जल नही गया।
जमीदोज करके ही मानेगी कुछ दरख़्तों को,
मौसम बदला है,हवा का रुख़ बदल नही गया।
न जाने क्या सोचकर बुलाया था हवेली पे उसने
मैं सीधा घर गया अपने, मगर महल नही गया।
कौन कहता है सुलह होगी अदावत की
रस्सी जल गई मगर बल नही गया।
जानता था हिज्र की रातें है,उल्फत में।
धोखा खाई,मगर संभल नही गया।
मुकद्दर में बदा था,होना था ही,
हुआ भी वही,टल नही गया।।

अनिल साहू
प्रतापपुर जिला सूरजपुर छ.ग

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