काव्य : भगवान का इन्सानों से है एक सवाल- राजीव रंजन शुक्ल पटना

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भगवान का इन्सानों से है एक सवाल

अद्भुत ब्रह्मांड और बनाया चाँद सूरज
लेकिन है मेरा सर्वश्रेष्ठ निर्माण
इंसान , इंसान और इंसान
मेरी कला की तू सुंदर कृति
बनाया रात ,दिन और दिया तुम्हें आँखों की ज्योति
मेरी सारी कृतियों मे तू है शिखर पर
लेकिन क्यो रहते तुम सब बिखरकर
जाँत –पात ,धर्म और क्षेत्र मे
लालच , घृणा, और एक दुसरे से जलन में
दिया क्या इसीलिए
खेत –खलिहान , पोखर ,तालाब नदी, सागर और पर्वत
पर्यावरण का करो हरण और
और बेबजह प्राकृतिक संसाधनों का करो खपत
पेड़ , पौधे और तुझे जंगल मिला
जमीन ,जंगल और जल का बल भी मिला
और तूने क्या क्या किया
जंगल घटाया , पेड़-पौधे कटाया
जल को प्रदूषित और हवा भी दूषित कराया
पछताओगे जब तुम इन्हे खोकर
कुछ नहीं होगा तब फिर रोकर
हो तुम मेरे सर्वश्रेष्ठ निर्माण
फिर ऐसा कर्म क्यो है तुम्हारे इंसान
तुझे ऊपर चादर दिया आसमान का
सूर्य की रौशनी और वर्षा बादल का
चंद्रमा की शीतलता और
मौसम की परिवर्तनता
से परिचय कराया
हौसलों के लिए चिटी का पाठ पढाया
सब्जियों और फूलों से भरी खेतों की क्यारी
सच्चे मित्रो की मिली तुम्हें यारी
सुगंधित मिट्टियों वाली धरती मिली
हर मौसम की बदलती फिजा भी मिली
सर्दी – गर्मी बारिश और धूप
चेहरा ,कद ,पद और मिला तुम्हे रंग रूप
बनाया तुम्हें
किसी खास वजह से
लड़ता क्यो फिर इंसान इंसान से
मन से अच्छा और दिल से दिलदार बनाया
मरता क्यों कोई खाते-खाते और कोई भूख से
भाई -बहन देकर दिया मजबूत कंधा
धन-संपत्ति के लिए बन अंधा
लड़ रहे क्यों भाई – भाई से
खुश रहो की मिला तुम्हें
जीवन साथी का प्यार
पड़े क्यो हो फिर झूठे जीत –हार
रिश्ते नाते घर और घराना मिला
पुत्र पुत्रियों का सौगात और शुभचिंतकों का सहारा मिला
ईश्वर दूत के रूप मे मिले माँ बाप
अनादर कर उनका क्यो करते हो पाप
लिया तुमने अक्षर का भी ज्ञान
बनते फिर क्यों अंजान और अज्ञान
किया उपलब्ध जीवन जीने की सभी आवशयकता
इंसान इंसानियत से फिर तू क्यों है मुकरता
भगवान का इन्सानों से है एक सवाल
छोटी छोटी बातों पर मचाते क्यों बवाल ॥
राजीव रंजन शुक्ल
पटना ,बिहार

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