गोवर्धन लीला,छप्पन भोग, उत्सवों के बीच बही भक्ति की बहार

गोवर्धन लीला,छप्पन भोग, उत्सवों के बीच बही भक्ति की बहार

कथा का पंचम दिवस
इटारसी।
ब्रज मंडल पर मूसलाधार बारिश से उसे डुबो देने के इंद्र के अहंकार को तोड़कर,उनकी जगह प्रकृति के एक अनन्य स्वरूप गिरिराज गोवर्धन की पूजा कराकर श्री कृष्ण ने सम्पूर्ण संसार को यह संदेश दिया कि किसी का भी,कैसा भी अहंकार अंततः एक दिन टूटता ही है। प्रकृति स्वरूपा भगवान की अखंड सत्ता ही वास्तव में हमारा पालन पोषण करती है। वास्तव में पर्वत ही आसमान में उमड़ते बादलों से टकराकर हमें जल उपलब्ध कराते हैं। अतः श्री कृष्ण ने ही ब्रज वासियों से गिरिराज पूजन की नई परम्परा प्रारंभ कराई। उक्त उदगार के भागवताचार्य श्री पंडित नरेन्द्र तिवारी,हनुमान धाम इटारसी ने नेपाल काठमांडू पशुपति धाम में के होटल शिवम् प्लाजा सभागार में आयोजित भागवत कथा के पांचवे दिन में व्यक्त किए। पंडित नरेंद्र तिवारी ने गिरिराज पूजा और गोकुल बासियों के अटूट प्रेम की कथा को विस्तार देते हुए कहा कि भगवान कृष्ण ने इंद्र के अभियान को तोड़ने के लिए गिरिराज की पूजा करवाई। कथा के दौरान गाय के गोबर से निर्मित भगवान गोवर्धन की खूबसूरत झांकी सजाई गई।गिरीराज को 56 पकवानों का भोग लगाया गया। कथा के दौरान संगीत कलाकार पंडित नारायण तिवारी, कमलेश चोरे, अनिरुद्ध सोनी द्वारा शानदार भजनों की प्रस्तुति दी गई। भगवान गिरिराज की पूजा संपन्न कराने में आचार्य पंडित कपिराज उपाध्याय, अभिषेक तिवारी और शिवम शर्मा ने मुख्य भूमिका निभाई। कथा की शुरुआत में मुख्य यजमान श्रीमती बीना ,डॉक्टर विनोद कुमार सीरिया, श्रीमती उषा एन पी चिमनियां, प्रेमवती शुक्ला एवं राम विलास मालवीय ने व्यास गादी की पूजा की, इस दौरान गिरिराज को 56 पकवानों का भोग लगाकर महा आरती की गई।

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