

टा-टा बाय-बाय
ना घटा कभी है ज्ञानी का।
क्षय हुआ सदा अभिमानी का।I
बादल जब बहुत गरजता है,
गिरता है और लरजता है।
फल पा झुक जाती है डाली,
संबल देता उसको माली।
गर्व में चूर हुईं शिलाएं,
सरकीं,सिसकीं,गिरीं किलाएं।
तनकर चलना नहीं बुरा है,
अधिक पर अनुचित बेसुरा है।
टा-टा बाय-बाय अरि-दंभ को,
भू कर डालो दर्प – खंभ को।
–डॉ.गणेश पोद्दार
रांची

देवेन्द्र सोनी नर्मदांचल के वरिष्ठ पत्रकार तथा ‘ युवा प्रवर्तक ‘ के प्रधान संपादक हैं। साथ ही साहित्यिक पत्रिका ‘ मानसरोवर ‘ एवं ‘ स्वर्ण विहार ‘ के प्रधान संपादक के रूप में भी उनकी अपनी अलग पहचान है।
