

सत्य अहिंसा के पुजारी
2 अक्टूबर 1869 को जन्मा एक लाल,
जिन्होंने अंग्रेजों का किया था बुरा हाल।
सत्य और अहिंसा का था वो सच्चा पुजारी,
जिसकी सच्चाई के आगे अंग्रेजों की सेना हारी।
अपने जीवन में उन्होंने कई आंदोलन थे किए,
अपनी अंतिम सांस तक बापू सिर्फ देश के लिए ही जिए।
साधारण जीवन उच्च विचार का मंत्र अपनाया था,
चरखा चलाकर आत्मनिर्भरता का सबको पाठ पढ़ाया था।
एक सफल वक्ता और राजनीतिज्ञ बनकर देश को दिशा दी,
अंग्रेजों का डटकर सामना कर भारत देश को आजादी दी।
महात्मा गांधी जैसा नायक बहुत मुश्किल से पैदा होता है,
इनको याद कर आज भी हर भारतीय रोता है।
सौ, भावना मोहन विधानी
अमरावती

देवेन्द्र सोनी नर्मदांचल के वरिष्ठ पत्रकार तथा ‘ युवा प्रवर्तक ‘ के प्रधान संपादक हैं। साथ ही साहित्यिक पत्रिका ‘ मानसरोवर ‘ एवं ‘ स्वर्ण विहार ‘ के प्रधान संपादक के रूप में भी उनकी अपनी अलग पहचान है।
