काव्य : गाॅंधी जी के सपनों को स्वच्छ रखें – इंजी.हिमांशु बडोनी दयानिधि,गढ़वाल

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स्वच्छ रखें

सबकी मदद करके, गाॅंधी जी के सपनों को स्वच्छ रखें।
देश के नज़ारे बदल जायेंगे, दोनों नयनों को स्वच्छ रखें।
काया नहीं, कर्म महकेंगे, आप पंचतत्त्व को स्वच्छ रखें।
ये शास्त्री जी की सीख है, बस व्यक्तित्व को स्वच्छ रखें।

जो तन नहीं, तो मन साफ, वाणी-विचार को स्वच्छ रखें।
भलाई और समर्पण से ही, अपने आचार को स्वच्छ रखें।
सबके संग प्रेम से बोलिए, अपने व्यवहार को स्वच्छ रखें।
जिसमें खोट की चोट न हो, ऐसे दृढ़ प्यार को स्वच्छ रखें।

मृदु कथा का अंत नहीं, इसके प्रेरित सार को स्वच्छ रखें।
स्वच्छता ही दैवत्व है, इसके प्रचार-प्रसार को स्वच्छ रखें।
कश्ती भी किनारे उतरेगी, इसकी पतवार को स्वच्छ रखें।
हर दिवस शुभ हो जायेगा, समय की धार को स्वच्छ रखें।

प्रकृति से ही अस्तित्व है, इस जीवनाधार को स्वच्छ रखें।
जो वर्षों से गर्त में छिपा है, उस भू-भंडार को स्वच्छ रखें।
वायु-शुद्धता, वन-सम्पदा व जल की धार को स्वच्छ रखें।
हर ऋतु खिलखिला उठेगी, बसन्ती बयार को स्वच्छ रखें।

चाहे सूक्ष्म हो या वृहद, आप सभी संसार को स्वच्छ रखें।
जल, जंगल व ज़मीन जैसे असीम दुलार को स्वच्छ रखें।
ईश्वर भी अवश्य पधारेंगे, अपने घर-द्वार को स्वच्छ रखें।
मौहल्ला, वार्ड, गाॅंव, कस्बा और परिवार को स्वच्छ रखें।

इंजी.हिमांशु बडोनी दयानिधि
जिला: पौड़ी गढ़वाल (उत्तराखण्ड)

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