काव्य : वृद्ध सम्मान – आरती तिवारी सनत दिल्ली

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वृद्ध सम्मान

भारतीय की सभ्यता संस्कृति
आदि से अनादि काल तक..
वृद्ध का यहां होता सम्मान..
जिस घर में बड़े बुजुर्ग होते..
उस घर में संस्कार अपने आप..
बच्चों को मिलता रहता है ..
बुजुर्ग वृद्धजन सम्मान पाते..
आत्मा से अपने आशीष देते..
सुख समृद्धि उस घर में सदा..
अपने आप ही बढ़ती रहती..
बच्चे अच्छी शिक्षा पाते..
शिक्षा और संस्कार मिलकर..
बच्चों का संरक्षण पोषण होता..
बच्चे आने वाली पीढ़ी का भविष्य..
वृद्ध का सम्मान होता है जहां..
खुशियां उन्नति समृद्धि संग लाती..
प्रेरणा यह हमारे वृद्ध हमें देना है ..
सभी अपने बुजुर्ग प्रणेता को सम्मान..
आओ वृद्ध दिवस पर हम संकल्प करें
बुजुर्ग वृद्ध आश्रम में नहीं..
बुजुर्गों का सम्मान अपने बच्चों के..
साथ घर में रहने उचित देखभाल करें..
यह वट वृक्ष है इनकी छांव तले हम.
सभी सुरक्षित महसूस करते हैं..
इन्हें थोड़ा समय और सहानुभूति..
हमारा दायित्व है जिन हाथों ने हमें ..
पाल पोस कर बड़ा किया बड़ा किया
उनके सम्मान में एक हल्की सी हंसी..
24 घंटे में से कुछ पल ही सही..
बुजुर्गों के साथ बैठे उनका सम्मान है.!

आरती तिवारी सनत
दिल्ली

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