जब तक परम्परा टूटेगी नहीं तब तक एक समाज का निर्माण होना असंभव है – प्रो बिपिन कुमार

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जब तक परम्परा टूटेगी नहीं तब तक एक समाज का निर्माण होना असंभव है – प्रो बिपिन कुमार

भोपाल।
शनिवार, 30 सितम्बर शाम 5 :00 बजे अंतर्राष्ट्रीय विश्व मैत्री मंच का अभिनव आयोजन ‘कहानी संवाद” गूगल मीट पर संपन्न हुआ। देश-विदेश के तमाम साहित्यकारों ने इसमें अपनी उपस्थिति दर्ज की।
मंच की संस्थापक अध्यक्ष वरिष्ठ कहानीकार संतोष श्रीवास्तव ने अपने बीज वक्तव्य में अपना शोधपरक आलेख प्रस्तुत करते हुए कहा कि कहानी को गंभीरता से लेने की आवश्यकता है। यद्यपि आज हम स्वतंत्र हैं। हमें अभिव्यक्ति की आज़ादी है लेकिन सावधान रहने की भी आवश्यकता है। दरअसल कहानी की माँग होती है कि वह संवेदना को समृद्ध करे।
मुख्य अतिथि डॉ शोभनाथ शुक्ल संपादक कथासमवेत एवं  अखिल भारतीय कहानी पुरस्कार के संयोजक ने
मीनाक्षी दुबे की कहानी,”मुस्कुराती तस्वीर की जगह” की समीक्षा करते हुए कहा कि “यह रिश्तों का संक्रमण काल है। यहाँ रिश्ते टूट रहे हैं। उन्हें साजो कर रखने की ज़रुरत है। आपने कहानी की आलोचना और समालोचना की और विस्तार से उसका विश्लेषण भी किया। कहानी के सभी पात्रों के चरित्र का चित्रण बड़ी गंभीरता से किया। आपने कहा कि  कहानी के सकारात्मक और नकारात्मक पक्षों को लेखक के सामने आना ज़रूरी है। स्थितियों के स्पष्टीकरण में ईमानदारी होनी चाहिए। भाषा में व्याकरण के महत्व को समझना आवश्यक है। किसी क्षेत्र की कहानी में उस क्षेत्र की सांस्कृतिक झलक यदि दिखाई पड़ती है तो कहानी पाठक के ऊपर गहरा प्रभाव छोड़ती है।’
कार्यक्रम की अध्यक्षता प्रोफेसर बिपिन कुमार ने की। आप हिन्दी विभाग, काशी हिन्दू विश्वविद्यालय वाराणसी से हैं तथा साहित्यिक पत्रिका “अनिश”* का संपादन भी करते हैं। आपने डॉ रंजना जायसवाल और मीनाक्षी दुबे कहानियों पर अपनी समीक्षात्मक टिप्पणी व्यक्त करते हुए कहा कि-
“कोई भी रचना कुछ न कुछ कहने के लिए स्पेस देती है। जहाँ एक तरफ कहनियों को गंभीरता से लिया जाना चाहिए। वहीं दूसरी तरफ कहानी सुलाने वाली न होकर बेदार करने वाली होना चाहिए। लेखकों को चाहिए कि यथार्थ से दूर भागती हुई कहानियाँ न लिखें। जब तक यह परम्परा टूटेगी नहीं तब तक एक समाज का निर्माण होना असंभव है।’
कार्यक्रम में एक समय ऐसा भी आया कि कहानी संवाद ने कहानियों की कार्यशाला का रूप ले लिया। कमेंट बॉक्स में भी श्रोताओं ने कहानियों पर अपनी भावनाएं व्यक्त करते हुए कभी समीक्षात्मक तो कभी  उत्साह वर्धक टिप्पणियां प्रेषित कर इस कार्यक्रम में अपनी सजग उपस्थिति दर्ज की। 
कार्यक्रम का सञ्चालन करते हुए मुज़फ्फर सिद्दीकी ने कहा कि कहानी संवाद का यह कार्यक्रम अब कहानी आंदोलन का रूप लेता जा रहा है।
स्वागत वक्तव्य में मधुलिका सक्सेना ‘मधु आलोक’ ने अतिथियों का परिचय देते हुए उनका आत्मीय स्वागत आभासी पुष्पगुच्छ से किया। शेफालिका श्रीवास्तव ने अपने अलग अंदाज़ में कार्यक्रम को सफल बनाने के लिए सभी का आभार व्यक्त किया।
– मुज़फ्फर सिद्दीकी

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