

बुढापा
अनुभव का पदक चेहरे की ये झुर्रियां
दमकती है आभा इनके सानिध्य में
आंखों से झरता स्नेह होठों पर बस दुवाएँ
बरगद की शीतल छांव है
इनके आँचल में
समर्पण और त्याग अंकुरित इनके
पौधे
संस्कारों से सिंचित बस ठंडी पूरवाई
बहती है आंगन में
अंतिम पड़ाव में देख बदलाव
सहमे से इनके भाव
रिश्तों का बौनापन देख हैरान
पथराई है आंखे भीगे आँचल में
ईश्वर का आशीष बुजर्गों का साया
अमावस में पूनम का बिखराते उजास
कपकपाती ठंड की ये गुनगुनी धूप
ईश्वर है समाया इनके रूप में
अविनाश तिवारी
अमोरा
जांजगीर

देवेन्द्र सोनी नर्मदांचल के वरिष्ठ पत्रकार तथा ‘ युवा प्रवर्तक ‘ के प्रधान संपादक हैं। साथ ही साहित्यिक पत्रिका ‘ मानसरोवर ‘ एवं ‘ स्वर्ण विहार ‘ के प्रधान संपादक के रूप में भी उनकी अपनी अलग पहचान है।
