

गांधी जयंती
सत्य और अहिंसा के पुजारी हम करते तुम्हें बारंबार प्रणाम।
है भारत की आजादी देन तुम्हारी हे साबरमती के संत महान।।
चरखा चलाया पर कभी ना हथियार उठाया ।
अपनी मीठी बोली से सबको अपना बनाया।।
संयम का पाठ पढ़ाया हृदय में विश्वास जगाया।
समय का महत्व बताया सबको मन से अपनाया।।
कोई ना षड्यंत्र रचाया कभी ना भेदभाव किया।
जात पात से उठकर ऊपर सबको गले लगाया।।
मन को जिसने वश में करना सिखाया।
हर शय में जिसने देश प्रेम का भाव जगाया।।
माटी को जिसने बनाकर तिलक अपने भाल पे सजाया।
भारत मां का लाल वो बड़ा निराला’ सबको अहिंशा का पाठ पढ़ाया।।
उपाधि मिली फिर बापू की और बापू ने अपना ,
हर एक फर्ज़ निभाया…माटी का कर्ज चुकाया।।
शीर्ष पे लहराया भारत का तिरंगा प्यारा।
और भारत का गुणगान किया सदा-सदा।।
धन्य धन्य है यह माटी जिसने तुझ सा लाल है पाया।
धन्य है यह भारत भूमि जहां जन्म बापू तूने लिया।।
ब्रिटिश के अंत का संकेत दिया भारत छोड़ो का नारा लगाया ।
विश्व पटेल पर भारत का अपना अलग पहचान बनाया ।।
रहे तेरी अनुकंपा हम पे सदा कि…
हम भी कर पाए तुझ सा देश की सेवा।।
सत सत तुझे नमन हे राष्ट्रपिता,
करते रहे हम अनुसरण सदा आपका।।
– किरण काजल
बेंगलुरु

देवेन्द्र सोनी नर्मदांचल के वरिष्ठ पत्रकार तथा ‘ युवा प्रवर्तक ‘ के प्रधान संपादक हैं। साथ ही साहित्यिक पत्रिका ‘ मानसरोवर ‘ एवं ‘ स्वर्ण विहार ‘ के प्रधान संपादक के रूप में भी उनकी अपनी अलग पहचान है।
