

गज़ल
हम नहीं हैं किसी का घर तुड़ाने वाले ।
हम तो हैं हर किसी का घर बसाने वाले।।
तुम यूं ही नहीं रहा करो सूने घर में ,
हम तो हैं जो मोहब्बत सिखाने वाले ।
ऐसा होता नहीं है कि वो गलती न करें ,
कुछ अपने ही होते हैं आग लगाने वाले ।
उसकी आदत तो होती है डांट खाने की ,
मना लो वरना बहुत मिलेंगे मनाने वाले ।
कभी – कभार तकरार भी होती है जरूरी ,
बस ये ही पल तो होते हैं प्यार बढ़ाने वाले।
– विनय चौरे
इटारसी

देवेन्द्र सोनी नर्मदांचल के वरिष्ठ पत्रकार तथा ‘ युवा प्रवर्तक ‘ के प्रधान संपादक हैं। साथ ही साहित्यिक पत्रिका ‘ मानसरोवर ‘ एवं ‘ स्वर्ण विहार ‘ के प्रधान संपादक के रूप में भी उनकी अपनी अलग पहचान है।
