

परब्रह्म ईश्वर
अनहद ध्वनि से एक आवाज़ आई,
निर्विकार परब्रह्म स्वरूप का हृदय में साक्षात् दर्शन हुआ।
ब्रह्मा, विष्णु और महेश तीनों लोक में श्रेष्ठ,
दुर्गा, लक्ष्मी और सरस्वती आदिशक्ति स्वरूप।
सृष्टि की उत्पत्ति ब्रह्मा के द्वारा सृजन किया गया,
सृष्टि संचालन नारायण के कृपा से हुई।
देवों के देव महादेव, अर्धनारीश्वर स्वरूप,
हाथों में डमरू, गले में सर्पों की माला और अस्त्र त्रिशूल।
ईश्वर के बिना सृष्टि में एक पत्ता भी नहीं हिलता,
विधाता की जिस पर कृपा ना हो, वही अकाल मृत्यु मरता।
प्रकृति से बड़ा इस सृष्टि में कोई बड़ा नहीं,
वसुंधरा के जनमानस को यह अबतक हृदय में अनुभूति नहीं।
पराकाष्ठा, वैभव, वैदिक, ज्योतिष,
वेद, वेदांत, सभ्यता एवं संस्कृति का पतन हो गया।
हरिओ३म के अनहद नाद से मानव का कल्याण होता है,
भूत-पिचाश, रोग-व्याधि का पतन होता है।
आध्यात्मिक गुरु से शिक्षा-दीक्षा ग्रहण कर,
मानव कल्याण एवं सेवा-भाव में लग।
भारत आज़ विश्व गुरु है,
संपूर्ण लोकों में सर्वश्रेष्ठ है।
पश्चिम सभ्यता और संस्कृति का विरोध कर,
राष्ट्र के पाखंडियों को राष्ट्र से बाहर कर।
हरिओ३म तत् सत्-तत् शत् ,
कवि प्रकाश की ओर से सबको नमन।
–प्रकाश राय
समस्तीपुर, बिहार

देवेन्द्र सोनी नर्मदांचल के वरिष्ठ पत्रकार तथा ‘ युवा प्रवर्तक ‘ के प्रधान संपादक हैं। साथ ही साहित्यिक पत्रिका ‘ मानसरोवर ‘ एवं ‘ स्वर्ण विहार ‘ के प्रधान संपादक के रूप में भी उनकी अपनी अलग पहचान है।
