संस्थान संगम की वसुधैव कुटुम्बकम थीम पर काव्य गोष्ठी में बेटी दिवस को जोड़ते हुए कवियों ने रचनाओं से भावविभोर किया

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बेटियां घर का श्रृंगार होती हैं, देवियों का रूप हैं बेटियां

संस्थान संगम की वसुधैव कुटुम्बकम थीम पर काव्य गोष्ठी में बेटी दिवस को जोड़ते हुए कवियों ने रचनाओं से भावविभोर किया

आगरा।
अंतरराष्ट्रीय बेटी दिवस पर कवियों ने सृष्टि में बेटियों के महत्व पर रचनाओं का पाठ कर अपने भाव व्यक्त किए। संस्थान संगम मासिक पत्रिका की काव्य गोष्ठी में गीतकार डॉ. राघवेंद्र शर्मा के गीत “बेटियां सबका दुलार होती हैं, बेटियां घर का श्रृंगार होती हैं “, कवि दुर्ग विजय सिंह दीप की “हमारे तुम्हारे घर की शान हैं बेटियां”, संजय गुप्त की “बेटियां बिन परिवार सूना लगता है” और नीता दानी की “देवियों की रूप हैं बेटियां…” को काफी तालियां मिली।

कार्यक्रम के मुख्य अतिथि डॉ. शीलेंद्र कुमार वशिष्ठ द्वारा सीता और त्रिजटा के अशोक वाटिका में संवाद “जो कुछ भी तुम कहती हो मां…” और अध्यक्ष वरिष्ठ साहित्यकार राज बहादुर राज के गीत “मन के द्वारे पे यादों ने दस्तक दिया…” को श्रोताओं ने बहुत पसंद किया। सुशील सरित की सरस्वती वंदना से गोष्ठी का शुभारंभ हुआ। संचालन किया अशोक अश्रु विद्यासागर ने।
संस्थान संगम मासिक पत्रिका की ओर से डॉ. रेखा कक्कड़, प्रणव कुमार कुलश्रेष्ठ एवं संजय शर्मा को “सुमित्रा नंदन पंत सम्मान 2023” से सम्मानित किया।

कार्यक्रम में डॉ. रेखा कक्कड़, डॉ. सुनीता चौहान, कमला सैनी, राहुल सार्थ, परमानंद शर्मा, संजय शर्मा, डॉ. असीम आनंद, संगीता शर्मा, रचना मिश्रा, प्रेम सिंह राजावत, विनय बंसल, योगेश चंद्र शर्मा, योगेंद्र शर्मा योगी , विजया तिवारी, प्रणव कुमार कुलश्रेष्ठ, अर्चना आनंद, दयाल प्यारी नंदन, प्रेम कुमार सत्संगी, नीलम रानी गुप्ता आदि ने अपनी विभिन्न विषयों पर रचनाओं का पाठ कर भावविभोर कर दिया।

प्रेषक :
अशोक अश्रु ’विद्यासागर’
संपादक, आगरा

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