

गलियारों में बचपन गुजरा
जब मैं छोटी थी
सबसे कहती थी
दुनिया में एक नाम ऐसा होगा
आसमान से ज़मी पर गिरती हुई बारिश के जैसा होगा
वो मिट्टी की दीवारों पर नए रंग के जैसा होगा
गिरते फिसलते मेरे कदम
नन्हे से ख्वाबों को पूरा करने चले हम
जैसे गिरती हुई बाती को दीपक सहारा देता होगा
कभी अंधियारों में रोशनी का उजाला होगा
कभी धूप कभी छांव का पहर दोबारा होगा
जब राह में राहगीर हार चुका होगा
तो उसकी जिंदगी का सफर दोबारा होगा।
– प्रियंका पटेल
(मप्र.) तेंदूखेड़ा

देवेन्द्र सोनी नर्मदांचल के वरिष्ठ पत्रकार तथा ‘ युवा प्रवर्तक ‘ के प्रधान संपादक हैं। साथ ही साहित्यिक पत्रिका ‘ मानसरोवर ‘ एवं ‘ स्वर्ण विहार ‘ के प्रधान संपादक के रूप में भी उनकी अपनी अलग पहचान है।
