

विश्वास
माना ,मैं कुछ नही
नंदी भर हूं उनके सागर की
तब भी गर्व है मुझे
की उनकी इकाई तो हूं !
विश्वास है मुझे
कर्म ही मंजिल है मेरी
पहुचूं न पहुंचूं मुकाम तक
परिणाम तो है वक्त के गर्भ मे
तब भी ,गर्व है मुझे
की मेरा वजूद तो है !
ख्वाहिश नही महासागर की
सागर भी शायद न बन पाऊं
सरोवर भी कम तो नही
तब भी गर्व है मुझे
की जल तो बनकर रहूंगा ही !
समझौता करूं स्वाभिमान से
यह गंवारा नही मुझे
विनम्रता मे नम्रता भी
सीमित है एक सीमा तक ही
टूटा हूं खुद मे भी कई बार
तब भी गर्व है मुझे
की अभी तक बिखरा नही हूं !
–मोहन तिवारी
मुंबई

देवेन्द्र सोनी नर्मदांचल के वरिष्ठ पत्रकार तथा ‘ युवा प्रवर्तक ‘ के प्रधान संपादक हैं। साथ ही साहित्यिक पत्रिका ‘ मानसरोवर ‘ एवं ‘ स्वर्ण विहार ‘ के प्रधान संपादक के रूप में भी उनकी अपनी अलग पहचान है।
