अणुव्रत चेतना दिवस – प्रदीप छाजेड़ बोंरावड़ ,राजस्थान

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अणुव्रत चेतना दिवस

छोटे छोटे नियमों की आचार-संहिता निर्मल गंगा की तरह होती है जो अभावग्रस्त व्यक्ति को तार देती है। गुरु तुलसी का महान अवदान अणुव्रत जीने की कला है। इसके छोटे-छोटे संकल्प यह बताते है की व्यक्ति निर्विकार तथा निर्दोष जीवन कैसे जीएँ।
शास्त्रों में हम पाते है की जीने की चाह राग है मरने की चाह द्वेष।
दोनो ही परीहेय है बशर्तें संयम के साथ हो। अणुव्रत -आंदोलन का घोष है- संयम: खलु जीवनम्-संयम ही जीवन है । व्यक्ति सम्पूर्ण रूप से असंयम से बचे,इससे बढ़कर उसके सौभाग्य की क्या बात होगी।गुरु तुलसी के महान अवदान अणुव्रत सत्यनिष्ठा और सदाचरण के पथ पर आगे बढ़े,यही आज के दिन प्रेरणा ले सकते हैं । जन-जन संयम और आत्मनुशासन की दिशा में प्रस्थान करे। यही गुरु तुलसी का स्वप्न । अनुशासन है धर्म की आधारशिला । मन और इन्द्रियों का सम्यक नियोजन। उसके साथ हो अपने से अपना अनुशासन। आत्मा में स्वत : घटित होने लगता परिवर्तन। शुभ भावो का हो संचरण। अशुभ करनी से हटने लगता मन । धर्म की ओर बढ़ते चरण। संवर और निर्जरा से कटते कर्म। कुछ पंक्तियाँ – अपने से अपना अनुशासन है प्रथम सोपान। छोटा हो या सूक्ष्म न कीजिये किसी को नज़र अंदाज़ ।चिंगारी से भी भड़क जाती है बन आग । दुग्ध भी हो जाता विकृत , एक बूंद अम्ल की कर देती यह काम ।एक छोटा बीज भी बन जाता वृक्ष विशाल ।एक अणु भी कर सकता है सब कुछ बर्बाद और एक व्रत भी कर जाता है बहुत कमाल ।अणुव्रत है बून्द जो शनै :-शनै : भर देता गागर जीवन मे मिटा विकार ला देता निखार ।नहीं किसी जाति भाषा का उसमे विवाद । इंसानियत धर्म इसका है नाम । सरल है इतना जितना नाम राम ।आचार्य तुलसी ने किया उपकार दे अणुव्रत का ये पैगाम । सामर्थ्य जितना उतना हो ले लो व्रत वह जीवन मे आएगा काम ।सरल सादगी और संयम का जीवन लाता खुशियों का सौगात।

प्रदीप छाजेड़
बोंरावड़ ,राजस्थान

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