काव्य : रामधारी सिंह दिनकर – आर सी यादव दिल्ली

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रामधारी सिंह दिनकर

प्रबल लेखनी के सर्जक तुम
सुंदर शब्दों के शिल्पकार ।
‘रेणुका’ ‘रसवन्ती’ ‘द्वंद्वगीत’
‘कविश्री’ की हुंकार ।।

‘रश्मिरथी’ की किरणों से
फैला चहुंओर उजाला ।
‘कुरूक्षेत्र’ की रणभेरी से
जग में फैली भीषण ज्वाला ।।

‘सामधेनी’ सामाजिक चिंतन
‘हारे को हरिनाम’ सहारा ।
भारतीय संस्कृति के परम पुरोधा
‘धूप-छांव’ से काव्य संवारा ।।

ग्राम्यांचल के मानस मोती
ओज पूर्ण सृजन के प्रेरक ।
‘उर्वशी’ का प्रेम प्रणय
‘वट-पीपल’ के सच्चे सेवक ।।

हिंदी के मूर्धन्य शिरोमणि
दीप जले अविचल अविराम ।
कथाकार ! हे काव्य शिल्पी !
श्रद्धा विनत प्रणाम ।।

आर सी यादव
दिल्ली

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