काव्य : राष्ट्र कवि दिनकर – पद्मा मिश्रा जमशेदपुर झारखंड

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राष्ट्र कवि दिनकर

भारत के गौरव-पुंज,दिव्य हिंदी के “दिनकर”!
साहित्य गगन के सूर्य,धरा करती अभिनंदन
तुम “रश्मि-रथी”के अमर गीत जीवित भास्कर!!
तुम देशभक्ति के गान मधुर,शत शत वंदन!
ओ राष्ट्र कवि!जग करता है तव अभिनंदन!!
घिर रहा अंधेरा”कुरुक्षेत्र”सा जनजन पर,
फिर कलम तुम्हारी रहे विजित,जीवन-रण पर
तुम अडिग हिमालय ,उच्च शिखर सम था जीवन,
ओ राष्ट्र कवि!जग करता है तव अभिनंदन!!
फिर दानवता के बादल घिर आये नभ पर,
तुम बनो सारथी,कृष्ण विजय,अर्जुन रथ पर,
तुम बनो प्रेरणा,शक्ति बनो,”हुंकार” भरो,
उठ रही पुकार भारत के कण कण से सत्वर,
फिर जोश भरो,जग उठे हमारा जन-गण-मन,
ओ राष्ट्र कवि!जग करता है तव अभिनंदन!!
ओ राष्ट्र कवि!जग करता है तव अभिनंदन!!
तुम विश्ववद्य, जननी के गौरव सुत ललामा
ओ विश्वमना!,, जन-मन का लों शत-शत प्रणाम
हिंदी गर्वित हो उठे , अजय हुंकार भरा हो अंतर्मन
ओ राष्ट्र कवि!जग करता है तव अभिनंदन!!

पद्मा मिश्रा
जमशेदपुर झारखंड

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