

नारी शक्ति वंदन अधिनियम
चलो अच्छा है
घर में अपनी
एक बात कहने का
अधिकार नहीं ,
संसद में इनकी संख्या
बढ़ जाएगी तो
जरूर बहुत मजबूत हो जाएंगी।
घर की शोभा
देश की संसद में
पहले से जाती हैं
वहां विचार विमर्श कर
अपने क्षेत्र के देखभाल की
जिम्मेवारी भी निभाती हैं
घर से बाहर की दुनिया में भी
अपनी छवि बनाती हैं।
पर, आज भी घर का संघर्ष
बाहर से बड़ा है
ये वही हैं
जिनकी आवाज
कभी घर में दब जाती है
आह बनकर रह जाती है,
अब अधिक संख्या में
संसद में आएँगी
सब की आवाज बन जाएगीं
अपने वजूद से सबको
चमत्कृत कर जाएंगीं।
‘नारी शक्ति वंदन अधिनियम’
संसद से पास होकर
कानून बन जाए पर
एक कानून जो
सबके दिल में बनना चाहिए
उनकी स्तुति गान नहीं
उनको सही अर्थों में
अपने बराबर समझना चाहिए।।
– शेफालिका सिन्हा,
रांची

देवेन्द्र सोनी नर्मदांचल के वरिष्ठ पत्रकार तथा ‘ युवा प्रवर्तक ‘ के प्रधान संपादक हैं। साथ ही साहित्यिक पत्रिका ‘ मानसरोवर ‘ एवं ‘ स्वर्ण विहार ‘ के प्रधान संपादक के रूप में भी उनकी अपनी अलग पहचान है।
