

रिश्तों के बीच कड़वाहट क्यों?
रिश्ते अपने आप में अनमोल होते हैं ,चाहे वो कोई भी रिश्ता हो। हमें सदैव रिश्तों को प्यार और विश्वास से सिंचते रहना चाहिए। रिश्तों की तरफ से बेपरवाह नहीं होना चाहिए। कोई भी रिश्ते को टेकेन बार ग्रांटेड नहीं लेना चाहिए।
स्वार्थ ,अविश्वास लालच रिश्तों में दरार लाते हैं, और फिर उन्हें संभाला नहीं गया तो वे चटकने लगते हैं और फिर हल्की से झटके से भी टूट जाते हैं।मानव व्यवहार को समझना आसान नहीं होता।यह समय और परिस्थिति के अनुसार बदलता रहता है।यदि हम समय और परिस्थिति के अनुसार अपने को नहीं ढ़ाले तो हर रिश्ता बेमानी लगने लगता है।
कोई भी रिश्ते में मनभेद होने से पहले अपने को टटोलना पड़ता है, समझना पड़ता है फिर व्यवहार करना पड़ता है,तब रिश्ते टूटने से बच सकते है।
कड़वाहट यदि रिश्ते में आ जाये तो उसे हर पहलू पर विचार कर रिश्ते में मिठास घोलने का प्रयास करना चाहिए।
आखिर जिंदगी में हमें प्यार से रहना ही शोभा देता है।हम विवेकी है हमारा व्यवहार पूर्णतः संतुलित होना चाहिए।
– आरती श्रीवास्तव विपुला
जमशेदपुर

देवेन्द्र सोनी नर्मदांचल के वरिष्ठ पत्रकार तथा ‘ युवा प्रवर्तक ‘ के प्रधान संपादक हैं। साथ ही साहित्यिक पत्रिका ‘ मानसरोवर ‘ एवं ‘ स्वर्ण विहार ‘ के प्रधान संपादक के रूप में भी उनकी अपनी अलग पहचान है।
