काव्य : अस्तित्व – आशीष तिवारी जबलपुर (म. प्र.)

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अस्तित्व

क्या खुद को ढूंढे कहां है हम,
कभी जमीं तो अभी आसमां है हम।

कभी अंधेरे में भटकती जिंदगी,
तो कभी अंधेरे में चीरती समां है हम।

कभी लोगो की भीड़ में अकेले है हम,
तो कभी अकेले ही कारवां है हम।

कभी उदासियों भरा पिटारा है हम,
तो कभी पल दो पल खुशनुमा है हम।

आशीष तिवारी
जबलपुर (म. प्र.)

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