

प्यार की खुशबू
बालेपन में जोग लिया
हां हमने प्रेम का रोग लिया
होने न दी रुसवाई प्रेम की रीत निभाई
घर घर अलख जगाई
वन्दे मातरम् वन्दे मातरम् वन्दे मातरम्
मेरे महबूब पर जब जब आफत आई
हमे कुछ और दिया न दिखाई
पहन लिया केसरिया बाना
बन गए मेवाड़ी राना
दुश्मन के सम्मुख अड़े रहे
खोले फौलादी सीना खड़े रहे
छिपी हुई है मेरे शौर्य की गाथाएं
कारगिल की घाटी में
आती है मेरे प्यार की खुशबू
पुलवामा की माटी में
चीर दिया दुश्मन का सीना
गलवानी घाटी में आती है मेरे प्यार की
खुशबू पुलवामा की माटी में
मेरे प्यार का साक्षी बना दिवाकर
प्रताप के प्रताप से डोली धरा
कह रहा निशाकर
बंदे मातरम वंदे मातरम वंदे मातरम
– पूनम अवस्थी
लखनऊ

देवेन्द्र सोनी नर्मदांचल के वरिष्ठ पत्रकार तथा ‘ युवा प्रवर्तक ‘ के प्रधान संपादक हैं। साथ ही साहित्यिक पत्रिका ‘ मानसरोवर ‘ एवं ‘ स्वर्ण विहार ‘ के प्रधान संपादक के रूप में भी उनकी अपनी अलग पहचान है।
