काव्य : हरितालिका तीज – आरती तिवारी सनत दिल्ली

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हरितालिका तीज

आओ सखी मनाएं हरितालिका तीज..
करके सोलह श्रृंगार सुहागन ..
अखंड सौभाग्य मांगे गौरी से ..
भाद्र पद शुक्ल पक्ष तृतीया तीज व्रत…
हरि ले ‌गई सखी गौरा को मैया को…
शिव के लिए गौरी मां ने किया निर्जला व्रत..
घोर तपस्या वन में गौरा ने किया..
पाया शिव को पति रूप मां गौरी
पूर्ण तपस्या हुई मातु दुलारी ..
सब सुहागन, कुंवारी रखें तीज व्रत.
पायें शिव भोले‌बाबा सा वर
अखंड सुहाग हमारी रखो‌ त्रिपुरारी
मांगते आज यही आशीष चरणों में…
सुहाग की चुनरी लाल‌ ओढ़ी
चूड़ियां, बिछिया,पायल, मेंहदी महावार
करके सुहागन पूजा करें गौरी मां ‌की..
शिवालय जाकर पूजा करती
कथा सुनाते पंडित जी ..
रात जागरण करती सुहागन स्त्रियां..
पूजा फूल फूलेरा शिव को अर्पण
निर्जला व्रत कर मांगे पति की लंबी उम्र..
सकल परिवार कुशल रखो है गौरी मां..
सबको सुहाग मंगल देती गौरी शंकर की पूजा होती.
भोर में पूजा अर्चना कर भोग लगाकर व्रत खोलते जल से..

आरती तिवारी सनत
दिल्ली

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