काव्य : गणेश चतुर्थी – किरण काजल बेंगलुरु

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गणेश चतुर्थी

हे गणपति गण नाथ दयालु,
रिद्धि सिद्धि के दाता कष्ट निवारू ।।

तुम्हारी कृपा से चलती है यह भूखंड सारा,
लगा दो पार यह जीवन विघ्नहर्ता हमारा।।

हे गिरिजा लाल माता-पिता की भक्ति ,
तुम सम आन कोनो नाहीं किन्हा।।

है यह जगत तुम पर बलिहारी,
श्रद्धा सुमन लिए आई हूं द्वार तेरे।।

किरण बन कर सवाली,
सुन लो प्रभु जी अरज हमारी।।

मुसक वाहन मोदक खावन,
है तुम सा नहीं कोई भक्त हितकारी।।

जय जय हे शिव प्रिय संतन सुखकारी।

किरण काजल
बेंगलुरु

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