

आयुर्वेद समिति को श्रीमती शोभा सराफ डॉ के एम सराफ द्वारा ग्यारह हजार रुपए की राशि प्रदत्त
बुन्देलखण्ड के विश्वकोश हेतु आयुर्वेद एवं पारंपरिक देशी चिकित्सा पद्धति समिति की बैठक संपन्न
सागर
बुन्देलखंड विश्वकोश के बैनर तले बुन्देलखंड की वैभवशाली विरासत एवं परंपरा को संजोने और संवारने हेतु समग्र विश्वकोश योजना के अंतर्गत पारंपरिक देशी और आयुर्वेद चिकित्सा समिति द्वारा आयुर्वेदाचार्यों, यूनानी, योग, आहार,ज्योतिष व अन्य विधाओं का बुंदेलखंड में प्रादुर्भाव व प्रचलन पर कार्यशाला का आयोजन सोम शांति शिवोम् चिकित्सालय,५,सिविल लाइंस,सागर में दिनांक १७ सितंबर,२०२३ को सायं ४ से ७ बजे संपन्न हुआ। कार्यक्रम की संयोजक डा.सरोज गुप्ता व समन्वयक डा.राजेश शुक्ला जी हैं। डा.शुक्ला ने प्रभावी उद्बोधन में पारंपरिक देशी चिकित्सा पद्धति की बढ़ती उपयोगिता पर प्रकाश डाला। विस्मृत ज्ञान प्राकृतिक रुप में उपलब्ध जड़ी बूटियों को किस प्रकार ज्योतिषीय आधार से नक्षत्र व मुहूर्त के अनुसार शिव मंदिर में घोंटकर दवा बनाई जाती थी और पीड़ित मानवता के लिए असाध्य रोगों का उपचार किया जाता था। इस प्रकार अहैतुकी कृपा और दवा का फल द्विगुणित हो जाता है जिसका संबंध आधिभौतिक और आध्यात्मिक होकर स्वस्थ और निरोगी समाज बनाता है। इस परिकल्पना के साथ बुन्देलखंड में पारंपरिक देशी चिकित्सा पद्धति के प्रादुर्भाव पर डा राजेश शुक्ला ने गहन प्रकाश डाला। संगोष्ठी में उपस्थित सभी चिकित्सकों, विचारकों और गणमान्य नागरिकों ने करतल ध्वनि से स्वागत किया ।
बुन्देलखण्ड विश्वकोश योजना समिति की बैठक की अध्यक्षता योगाचार्य श्री विष्णु आर्य जी ने करते हुए योग और प्राणायाम के महत्व को बताया। मुख्य अतिथि श्री जे पी पाण्डेय जी ने बुन्देलखंड विश्वकोश योजना की सराहना करते हुए पारम्परिक ज्ञान विज्ञान,प्राकृतिक चिकित्सा और औषधि विज्ञान के अनेक महत्वपूर्ण विषयों पर चर्चा की।आयुर्वेद योग होम्योपैथी विशेषज्ञ डॉ कृष्णा गुप्ता,यूनानी चिकित्सा विशेषज्ञ डॉ एम एस खान, डॉ डी पी चौबे,श्री आर एन तिवारी ,डॉ विनय कुमार चौबे , डॉ रमेश चन्द्र बोहरे,श्री शिवशंकर तिवारी, श्री पराग चतुर्वेदी, डॉ हरिमोहन गुप्ता,श्रीमती आशा गौतम,श्रीमती राजश्री दवे, श्रीमती शोभा सराफ, श्रीमती रेखा शुक्ला, ने विचार रखे।आयुर्वेद में यज्ञप्रणाली, हवन द्वारा स्वास्थ्य लाभ पर डॉ सी एल नेमा द्वारा चर्चा की गई। आयुर्वेद और ज्योतिष विषय पर पं राम गोविन्द पाण्डेय शास्त्री ने विस्तार से बताया। औषधीय पौधों के नाम व उनकी उपयोगिता , औषधीय वन क्षेत्रों का परिचय ,मेवों,फलों के द्वारा इलाज, संगीत वाद्य यंत्रों द्वारा इलाज ,मंत्र द्वारा चिकित्सा , योग व प्राणायाम द्वारा चिकित्सा , वनस्पतियों द्वारा चिकित्सा, कल्प चिकित्सा, यूनानी पद्धति द्वारा चिकित्सा, होम्योपैथिक पद्धति द्वारा चिकित्सा, औषधीय गुणयुक्त जड़ी बूटी द्वारा चिकित्सा पर विशद चर्चा हुई। इस अवसर पर श्रीमती शोभा सराफ द्वारा ग्यारह हजार रुपए की राशि आयुर्वेद समिति को वेबसाइट पर सामग्री अपलोड करने, टाइपिंग एवं पुस्तकों की स्कैनिंग के लिए प्रदान की गयी । कार्यक्रम की संयोजक डॉ सरोज गुप्ता ने संबोधित करते हुए बुन्देलखण्ड विश्वकोश की प्रगति पर प्रकाश डाला और कहा कि वेबसाइट पर बुन्देलखंड के साहित्यकारों की पुस्तकें व बुन्देलखंड के प्रसिद्ध व्यक्तित्व (पर्सनालिटीज) फोटो सहित अपलोड की जा रही हैं।अभिलेखीकरण हेतु आयुर्वेदाचार्य , ज्योतिषाचार्यों द्वारा विचार विमर्श किया गया। बुन्देलखण्ड में “आयुर्वेद एवं पारम्परिक देशी चिकित्सा पद्धति” की परम्परा अत्यंत प्राचीन है।इसकी सामग्री व जानकारी का खजाना हर घर में उपलब्ध है। अतः बुन्देलखण्ड इनसाइक्लोपीडिया की वेबसाइट पर समस्त जानकारी लिपिबद्ध करके अपलोड की जायेगी।अंत में डा.सरोज गुप्ता ने सबके प्रति आभार माना।

देवेन्द्र सोनी नर्मदांचल के वरिष्ठ पत्रकार तथा ‘ युवा प्रवर्तक ‘ के प्रधान संपादक हैं। साथ ही साहित्यिक पत्रिका ‘ मानसरोवर ‘ एवं ‘ स्वर्ण विहार ‘ के प्रधान संपादक के रूप में भी उनकी अपनी अलग पहचान है।
