लेखिका संस्थान में हुआ स्व.सावित्री परमार की जयंती एवं स्व.डॉ स्वर्णलता की पुस्तक का विमोचन

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लेखिका संस्थान में हुआ स्व.सावित्री परमार की जयंती एवं स्व.डॉ स्वर्णलता की पुस्तक का विमोचन

जयपुर।
राज.हिंदी ग्रंथ अकादमी एवं राज.लेखिका साहित्य संस्थान,के संयुक्त तत्वावधान में संस्थान की वरिष्ठ सदस्य स्व.सावित्री परमार की जयंती एवं स्व.डॉ स्वर्णलता की पुस्तक ‘समय-शिला पर उत्कीर्ण शब्द’ का विमोचन अध्यक्ष पूर्व महानिदेशक पुलिस राज.मनोज भट्ट ,मुख्य अतिथि स्पंदन संस्थापक की संस्थापक नीलिमा टिक्कू विशिष्ट अतिथि पूर्व प्रशासनिक अधिकारी मनोज शर्मा , निदेशक हिंदी राजस्थान ग्रंथ अकादमी बी.एल. सैनी संस्थान अध्यक्ष डॉ.जय श्री शर्मा, पूर्व विधि सचिव राजस्थान जी.एस. होरा उपाध्यक्ष डॉ. रेखा गुप्ता सचिव डॉ. सुषमा शर्मा सचिव रेनू शब्दमुखर के करकमलों से की गई।
कार्यक्रम का प्रारंभ अतिथियों द्वारा दीप प्रज्वलन एवं डॉ सुशीला शर्मा द्वारा प्रस्तुत सरस्वती वंदना के साथ हुआ।
निदशक डॉ. बी. एल. सैनी ने सभी का स्वागत करते हुए अकादमी द्वारा किए जा रहे हिंदी संवर्धन के कार्यों का विवरण प्रस्तुत किया।
अध्यक्ष डॉ.जयश्री शर्मा ने पत्रकार एवं वरिष्ठ साहित्यकार स्व.सावित्री परमार एवं कवयित्री स्व.डॉ स्वर्णलता जी के व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर प्रकाश डालते हुए उनकी कविताओं का वाचन किया।
उपाध्यक्ष डॉ.रेखा गुप्ता ने उनकी पुस्तक ‘समय शिला पर उत्कीर्ण शब्द’ काव्य संग्रह की समीक्षा करते हुए बताया कि इसमें नारी जीवन की कोमल भावनाओं, एवं समाज की विविध आयामी विसंगतियों विशेषकर संबंधों में आई दरारों और उससे उपजी टीस का बहुत सूक्ष्म विश्लेषण है । सचिव डॉ. सुषमा शर्मा ने कहा कि ये कविताएं अपने मौजूद समय, परिवेश और समाज के समानांतर व्यक्ति की निजी अस्मिता के अंत: संबंधों को प्रकट करती हैं।
वरिष्ठ लेखिका कमलेश शर्मा तथा मनोरमा शर्मा ने उनके व्यक्तित्व एवं लेखन से जुड़े अनुभव साझा करते हुए कहा कि वे निडर पत्रकार एवं शब्द चित्र खींचने में सिद्ध हस्त साहित्यकार थीं।
मुख्य अतिथि श्रीमती नीलिमा टिक्कू ने दोनों लेखिकाओं के प्रति श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए उनके लेखन की समसामयिक प्रशंसा की।
मुख्य अतिथि श्रीमती नीलिमा टिक्कू ने दोनों लेखिकाओं के प्रति श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए उनके लेखन की समसामयिक प्रशंसा की।
विशिष्ट अतिथि पूर्व प्रशासनिक अधिकारी श्री मनोज शर्मा जी ने डॉ स्वर्ण लता जी से जुड़े अनेक संस्मरण सुनाते हुए बताया कि वे नई पीढ़ी को साहित्य से जोड़ने के लिए प्रेरित करती थीं साथ ही मनमोहक अंदाज़ में उनकी कविताओं से रसास्वादन करवाया।
कार्यक्रम के अध्यक्ष एवं डॉ स्वर्णलता जी के पुत्र श्री मनोज भट्ट ने अपनी मां के व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर प्रकाश डालते हुए शिक्षा के एवं साहित्य के प्रति उनके समर्पण को रेखांकित किया।
संस्थान की पूर्व व वरिष्ठ लेखिका कमलेश माथुर तथा मनोरमा शर्मा ने उनके व्यक्तित्व एवं लेखन से जुड़े अनुभव साझा करते हुए कहा कि वे निडर पत्रकार एवं शब्द चित्र खींचने में सिद्ध हस्त साहित्यकार थीं। वरिष्ठ सदस्य डॉ कंचना सक्सेना, कल्पना गोयल,सुशीला शर्मा,अक्षौहिणी व अरुण ठाकर ने इनकी कविताओं का वाचन किया।कवयित्री रेनू शब्द मुखर ने न केवल मंच संचालन किया वरन् अपने काव्यात्मक अंदाज से पूरे कार्यक्रम को बांधे रखा ।अंत में डॉ रेखा गुप्ता ने सभी का धन्यवाद ज्ञापित किया।

प्रेषक
रेनू शब्दमुखर
सहसचिव राजस्थान लेखिका साहित्य संस्थान

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