काव्य : घर में पधारो गजानन जी – पद्मा मिश्रा जमशेदपुर

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घर में पधारो गजानन जी

रिद्धि सिद्ध के दाता गणपति
द्वार हमारे चरण धरो
दुख.दारिद्रय. गहन पीड़ा के
भाव हृदय में हरण करो
गौरी सुत हे .महेश पुत्र!
घर में आज पधारो जी.
घर में पधारो गजानन जी.

ज्ञान बुद्ध . विद्या वैभव से
इस जीवन में विभव भरो.
भय.आक्रोश .विवशता मन की
हे गज-आनन.. क्षरण करो.!
हे मंगलमय.!.मूषक वाहन…
विपदा आज.निवारो जी .
घर में पधारो गजानन जी .

पद्मा मिश्रा
जमशेदपुर

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