

आओ विघ्नविनाशक मंगल दायक
आये हैं श्री गणेश हमारे,
देने हमको यह पावन ज्ञान।
मात पिता के ही चरणों में,
बसा है पृथ्वी का सन्धान।
यही बताने आये धरा पर,
विघ्नविनाशक मंगल दायक
करके परिक्रमा मात पिता की,
बन गये गण के देव गणेश।
करके मूषक की पीठ सवारी,
दिया योग साधना का संदेश।।
यही सिखाने आये धरा पर,
विघ्नविनाशक मंगल दायक
इस काया में ज्ञान के सम्मुख,
नहीं श्रेष्ठ है तन का आकार।
कैसी भी हो इस तन की रचना,
बस कर्मों से पूजेगा संसार।।
आये कर्म पंथ दिखलाने
विघ्नविनाशक मंगल दायक।
जब होवे ज्ञान से कर्म मिलन,
तब साथ रहेंगी रिद्धि सिद्धि।
फल रूप मिलेंगे शुभ औ लाभ,
और सृष्टि में मिले प्रसिद्धि।।
आये सच्ची राह दिखाने
विघ्नविनाशक मंगल दायक
हर त्योहारों में होता है छुपा,
अद्भुत ज्ञान का असीम भंडार।
ये पर्व दिखाते धर्म मार्ग हमें,
औ सतकर्म मय सृजन संसार।।
आये पर्वों का भाव बताने,
विघ्नविनाशक मंगल दायक।
ज्ञान मूर्ति गणनायक प्रभु से
सीखे उनसे सहज ज्ञान अपार।
केवल भोग,पूजन ,नैवेद्य से,
हम पा न पायें प्रभु का प्यार।।
दे दे सत का पंथ हमें प्रभु,
हे विघ्न विनाशक मंगल दायक।
– ममता श्रवण अग्रवाल
ऑथर , सतना

देवेन्द्र सोनी नर्मदांचल के वरिष्ठ पत्रकार तथा ‘ युवा प्रवर्तक ‘ के प्रधान संपादक हैं। साथ ही साहित्यिक पत्रिका ‘ मानसरोवर ‘ एवं ‘ स्वर्ण विहार ‘ के प्रधान संपादक के रूप में भी उनकी अपनी अलग पहचान है।
