काव्य : गणेश प्राकट्य (चतुर्थी) – सुनीता सोलंकी ‘मीना’ मुजफ्फरनगर उप्र

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गणेश प्राकट्य (चतुर्थी)

ऊं गंपत्यै नमःऊं नमःशिवाय
हर हर महादेव हर हर गंगाय

प्रथम पूज्य श्री गणेश जी को
कोटि कोटि नमन भगवान को
गणेश बारह नाम से प्रसिद्ध
मुख उनका जैसा होता हाथी

गणेश चतुर्थी का यह पर्व
शुक्ल चतुर्थी जब भाद्रपद
गणेश प्राकट्य का यह दिन
प्राकट्य गणेश का धरा पर

गणेश चतुर्थी की अवधि को
मनोकामना सबकी पूरी हो
अनंत चतुर्दशी तक पूजा चले
जब गणेश धरा पे निवास करें

मुख हाथी का हाथ में त्रिशूल
गणेश शिव व पार्वती के पुत्र
गजमुख बन गये गणनायक
सिद्ध परमेश्वर और विनायक

विघ्नेश्वराय वरदा सुरप्रियाय
लम्बोदरा सकला जगद्धितायं
नागांनाथ श्रुति यज्ञ विभूषिता
गौरीसुताय गणनाथ नमो नमः

सुनीता सोलंकी ‘मीना’
मुजफ्फरनगर उप्र

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