काव्य : बाबा विश्वकर्मा – किरण काजल बेंगलुरु

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बाबा विश्वकर्मा

बाबा विश्वकर्मा
पधारो मेरे अंगना
करूं मैं तेरी वंदना
गंगाजल से चरण धुलाऊं
पुष्प चंदन अक्षत रोली कुमकुम
बाबा तेरे भाल सजाऊं
अक्षत रोली कुमकुम तेरे भाल सजाऊं
अगर कपूर की थाल सजाऊं
धूप दीप नैवेद्य मैं तुझे चढ़ाऊं
हो मनोकामना पूरी मेरी
ऐसी भावना ले तेरे दरबार मैं आऊं
बड़े बड़े काज संवारे तुने
मेरी भी विनती सुन लेना
एक छोटा सा घर,
बाबा तू मुझे भी देना
विश्वास जिसकी नींव हो
प्रेम से जुड़ी हो हर दीवार”
एक दूसरे की सहायता के लिए
सदा रहे हम तैयार
कभी ना हो अपनों से मन मुटाव
सदा बढ़ता रहे स्नेह और दुलार
बस इतनी कृपा बनाएं ओ जगत के करतार!!
जय बाबा विश्वकर्मा।

किरण काजल
बेंगलुरु

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