काव्य : आओ गजानन गौरी नंदन – डॉ स्मृति कुलश्रेष्ठ दिल्ली

79

गणेश चतुर्थी पर विशेष

आओ गजानन गौरी नंदन

आओ गजानन गौरी नंदन शिव शंकर के लाल,
आज पधारो घर हमारे कर दो घर खुशहाल।
कर दो घर खुशहाल कि घर में रहे न कोई संकट,
निकलें हर विपदा से बाहर हो चाहे जितनी विकट

पीत वस्त्र पहनाएं तुमको गले पुष्प की माल,
सिर पर मुकुट पहनाएं तुमको तिलक लगायें लाल
तिलक लगायें लाल बढ़ जाती शोभा न्यारी,
मोदक हाथ विराजे और करो मूषक की सवारी।

प्रथम पूजते आपको सब देवों में बने महान,
हर दिन हर पल नर- नारी करें आपका गुणगान।
करें आपका गुणगान और सब शीश झुकाते,
हर तीज त्यौहार आपकी महिमा गाते।

रिद्ध – सिद्ध, शुभ – लाभ संग मिले बड़ा सम्मान,
तीन नेत्र के गणपति महान विराजे राजस्थान।
विराजे राजस्थान रणथंभौर सवाईं माधोपुर में,
देते भक्त विवाह पत्रिका निर्विघ्न करते पूरी पल में।

विघ्न विनाशक मंगलदायक हो तुम कृपा निधान,
करते सब पर हो कृपा और करते हो कल्याण।
करते हो कल्याण हरो सब विपदा हमारी,
आपसे ही प्रभु हम करते प्रार्थना सारी।

यही निवेदन आपसे करना पूरण काम,
चाहे पूजें घर में और चाहे जायें आपके धाम।
जायें आपके धाम कृपा बनाए रखना हम पर भारी,
हरदम सेवा करें आपकी बन कर आपके पुजारी।

डॉ स्मृति कुलश्रेष्ठ
दिल्ली

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here